अशाेक यादव, लखनऊ। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आप सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया कि वह पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने और प्रतीक के रुप में रावण के पुतले जलाने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को ही अभ्यावेदन मानकर उचित कार्रवाई करें।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) और सीपीसीबी को इस मामले में लागू कानून, नियमों, विनियमों और सरकारी नीति के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया। अदालत ने उन्हें फैसला करते समय इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने वकील चेतन हसीजा और साहिल शर्मा की याचिका सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। याचिका में कोविड-19 महामारी के दौरान भी वायु प्रदूषण के स्तर में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए शहर में पुतले जलाने और पटाखे फोड़ने पर रोक लगाने के डीडीएमए और सीपीसीबी को निर्देश दिये जायें।
उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में पुतलों और पटाखों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। वकीलों ने अपनी याचिका में दलील दी कि दिल्ली में 25 सितंबर से ही पराली जलाने की घटनाओं के कारण प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी जा रही है और इस महामारी के समय में स्थिति भयावह हो रही है।
याचिका में कहा गया है, “अक्टूबर और नवंबर महीनों में पराली जलाने के अलावा, दिल्ली में दशहरा और दिवाली के त्योहारों पर पुतले और पटाखे जलाने के कारण भी वायु गुणवत्ता का स्तर गिरता है।” चूंकि याचिकाकर्ताओं ने प्रशासन के समक्ष कोई अभ्यावेदन नहीं दिया था इसलिए अदालत ने निर्देश दिया कि उनकी याचिका को ही अभ्येवेदन माना जाए और इसमे उठाए गए मुद्दों पर निर्णय लिया जाए।