धनबाद: कोयला नगरी धनबाद के पूर्व सांसद, जाने-माने कम्युनिस्ट चिंतक और मजदूर नेता कॉमरेड एके राय इस दुनिया में नहीं रहे. रविवार सुबह 11.15 बजे उन्होंने धनबाद में बीसीसीएल के सेंट्रल हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. 84 साल के राय के निधन की खबर सुनते ही उनके अस्पताल में उनके समर्थकों का तांता लग गया. कुछ लोग तो वहीं रोने लगे. एके राय के परिजनों के कोलकाता से आने का इंतजार हो रहा है. उसके बाद उनके अंतिम संस्कार पर कोई निर्णय लिया जायेगा. उनके निधन की खबर से पूरे कोयलांचल में शोक की लहर दौड़ गयी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पूर्व सांसद एके राय के निधन पर शोक जताया है.
सीएम ने ट्वीट कर कहा कि उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा.एके राय को कई गंभीर बीमारियों ने घेर लिया था. डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. वे कोमा में चले गये थे. खाना-पीना पूरी तरह से छोड़ दिया था. डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के भी मरीज थे. शुक्रवार को ही डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी और किसी चमत्कार की आस में थे, लेकिन ऐसा हो न सका.पूर्व सांसद एके राय 8 जुलाई से अस्पताल में भर्ती थे. उनका इलाज कर रहे डॉ सुनील सिन्हा ने कहा था कि श्री राय की स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हो रही है. हालत और खराब हो रही है.
उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया है. गुरुवार को दुर्गापुर स्थिति मिशन अस्पताल के डॉक्टरों ने भी उनकी जांच की थी. उन्हें भी श्री राय के बचने की कोई उम्मीद नहीं लगी. श्री राय उन नेताओं में थे, जो सदैव अपने क्षेत्र की जनता की भलाई के लिए चिंतित रहते थे. क्षेत्र के विकास की आवाज संसद में उठाते थे.संसद में एके राय के साथी रहे बांकुड़ा के पूर्व सांसद वासुदेव आचार्य ने बताया कि एके राय अपनी पूरी जिंदगी वामपंथ और इसकी विचारधारा को आगे ले जाने में जुटे रहे. संसद में और इसके बाहर भी राय वामपंथ तथा लोगों के लिए लड़ते रहे. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि एके राय तीन बार धनबाद के सांसद रहे. तीन बार उन्होंने सिंदरी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए चले आंदोलन में भी उनका बड़ा योगदान था. लोगों के बीच राय दा के नाम से मशहूर एके राय कोयला माफियाओं के खिलाफ सबसे मुखर आवाज थे.