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दिल्ली में मुख्यमंत्री असली बॉस ,उपराज्यपाल प्रशासनिक प्रमुख है लेकिन कैबिनेट के फैसले को रोक नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली/लखनऊ  : दिल्‍ली में उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अधिकारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने संविधान पीठ का फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. 5 जजों की संवैधानिक पीठ में से 3 जजों ने इस पर हामी भरी है. जज ने कहा कि शक्तियां एक जगह केंद्रीत होकर नहीं रह सकती हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि जज ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक मूल्‍य ही सबसे बड़ा है.

जानिए सुप्रीम कोर्ट के अहम् फैसले को जो निम्न है 

1. दिल्ली की स्थिति बाकी केंद्र शासित राज्यों और पूर्ण राज्यों से अलग है, इसलिए सभी साथ काम करें

2. उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं, इसलिए उन्हें दिल्ली कैबिनेट की सलाह से काम करना चाहिए.

3. कोर्ट ने कहा कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ही काम के प्रति जवाबदेही के लिए जिम्मेदार है.

4. उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों में अधिकारों का संतुलन जरूरी है. दोनों को ताल-मेल के साथ काम करना चाहिए.

5. संविधान का सम्मान करना हर किसी की जिम्मेदारी है, हम इससे अलग नहीं है. उपराज्यपाल प्रशासनिक प्रमुख हैं, लेकिन कैबिनेट के हर फैसले को वह रोक नहीं सकते हैं.

6. संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता है. केंद्र और राज्‍यों को मिलकर काम करना चाहिए.

7. कैबिनेट के फैसले को लटकाना सही नहीं है, अगर कोई विवाद होता है तो राष्ट्रपति के पास जाना सही है.

8. भूमि, पुलिस और लॉ एंड आर्डर को छोडकर जो केंद्र का एक्सक्लूसिव अधिकार हैं, दिल्ली सरकार को अन्य मामलों में कानून बनाने और प्रशासन करने की इजाजत दी जानी चाहिए.

9. दिल्ली विधानसभा जो फैसले लेती है कि उस पर उपराज्यपाल की सहमति की आवश्यकता नहीं है.

10. हमारी संसदीय प्रणाली है, कैबिनेट संसद के प्रति जवाबदेह है. संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता है. केंद्र और राज्‍यों को मिलकर काम करना चाहिए.

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