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तेजस्वी यादव ने कहा- वह तो कागजी पिछड़े….

पटना : राजद के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी की जाति को लेकर टिप्पणी की है. बसपा प्रमुख मायावती के बाद अब उन्होंने रविवार को कहा कि पीएम मोदी जन्म से ही अगड़ी जाति से हैं लेकिन उन्होंने बाद में कागजी तौर पर खुदको पिछड़ी जाति का बताया है. तेजस्वी ने रविवार को ट्वीट करके कहा कि मैंने 20 अप्रैल को ही कह दिया था कि अपने आप को नक़ली ओबीसी बताने के बाद नरेंद्र मोदी जी अब अतिपिछड़ा बतायेंगे और कल उन्होंने बता भी दिया. अपने आप को दलित भी बता चुके हैं. कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई यह है कि वो जन्मजात अगड़े हैं और कागज़ी पिछड़े हैं. वोट लेने के लिए वो क्या-क्या बोलते हैं?

तेजस्वी ने 20 अप्रैल को ट्वीट कर कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी जी आज बिहार आ रहे हैं. अतिपिछड़ा का बेटा बताएँगे, ध्रुवीकरण की असफल कोशिश करेंगे. राजद नेता तेजस्वी ने मोदी को बिहार द्वारा नकार दिए जाने का दावा करते हुए था कि बिहार उनसे झूठ और जुमलों की उम्मीद कर रहा है. आशा है पीएम 2014 के अपने वादों जैसे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज, दवाई-पढ़ाई मुफ़्त का हिसाब भी देंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज में शनिवार को बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि मैं जाति की राजनीति नहीं करता हूं, लेकिन बताना चाहता हूं कि मैं पिछड़ा नहीं, अति पिछड़ा हूं, लेकिन देश को अगड़ा बनाऊंगा. गौरतलब है कि तेजस्वी यादव से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने पीएम मोदी पर जाति को लेकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी पहले अगड़ी जाति में आते थे लेकिन गुजरात में अपनी सरकार के चलते फिर उन्होंने अपने राजनीतिक लाभ के लिये और पिछड़ों का हक मारने के लिये अपनी अगड़ी जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करवा लिया था. नरेंद्र मोदी, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की तरह जन्म से पिछड़े वर्ग के नहीं हैं.

मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह पहले ऊंची जाति के थे बाद में पिछड़ी जाति के बने, लेकिन कन्नौज में उन्होंने (मोदी) यह कहा है कि पिछड़ा वर्ग का होने की वजह से विरोधी लोग उन्हें नीच कहते है और बहनजी और अखिलेश ने भी नीच कहा था. बसपा प्रमुख ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी का यह आरोप काफी शरारतपूर्ण व तथ्य से बिल्कुल परे लगता है. हमने उनको कभी भी नीच नहीं कहा है. पूरे सम्मान के साथ हमने उन्हें ऊंची जाति का ही माना है, तो फिर भला उनको नीच कहने वाली बात कहां से आ गयी.

साथ ही बसपा प्रमुख ने कहा था कि इससे तो हम यही मान कर चलेंगे कि अपनी नजरों में अपर कास्ट समाज को भी वह नीच समझने लगे हैं. मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी अभी भी दलित समाज को नीच मानकर चलती है. मोदी और उनकी पार्टी कभी भी दलितों और अतिपिछड़ों के कभी सच्चे हितैषी साबित नहीं हुये हैं. हैदराबाद का रोहित वेमुला कांड और ऊना कांड इसका खास उदाहरण है. मायावती ने कहा था कि इस चुनाव में और आगे के भी चुनाव में खासकर कांग्रेस और भाजपा के दलित एवं पिछड़ा कार्ड खेलने से भी इनको कोई राजनीतिक लाभ मिलने वाला नहीं है. हो सकता है आज इस संबंध में मेरे प्रेस वार्ता के बाद मोदी अपना यह पिछड़ा कार्ड खेलने की राजनीति खुद ही बंद कर दे. अब इनका ‘जाति पात जपना और दलितों और पिछड़ों का वोट हड़पना बिल्कुल भी चलने वाला नहीं है.”

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भाजपा ने अपने पांच सालों के कार्यकाल में अपने चुनावी फायदों का जमीनी हकीकत में लगभग एक चौथाई हिस्सा भी कार्य पूरा नही किया है. जिसकी वजह से खासकर उत्तर प्रदेश में अभी तक जो तीन चरण के चुनाव हो चुके है, उसमें यह पार्टी इस बार बहुत पीछे रह जायेगी. शेष बचे चरणों में भी इस पार्टी का यही बुरा हाल होने वाला है. जिसको लेकर यह पार्टी बहुत मुश्किल में है. यह बात भाजपा भी जानती है.’ उन्होंने कहा था कि पहले तीन चरणों के रूझान के आधार पर उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा, रालोद के गठबंधन को जीत से कोई रोक नहीं सकता और भाजपा बुरी तरह से हार रही है. अभी तक हुये तीन चरणों में गठबंधन को अच्छा समर्थन मिला है और चौथा चरण भी गठबंधन का अच्छा रहेगा. पूरे देश की जनता सजग हो चुकी है. अब वो वोट देने से पहले ये सोच रही है कि पांच वर्ष में क्या वादे पूरे हुए, जो किये गए थे.

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