अशाेेेक यादव, लखनऊ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को ग्रीन कार्ड स्थगन अवधि को साल के अंतॉ तक बढ़ाने के साथ ही नॉन-इमिग्रेंट वीजा जैसे एच-1बी को भी इस दायरे में लाने वाला एक आदेश जारी कर दिया।
भविष्य में इसमें अस्थायी बदलाव की भी बात कही गई है और इसे मेरिट बेस्ड बनाया जाएगा, अधिक सैलरी के आधार पर प्राथमिकता बनाई जाएगी।
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि H-18, H-4, H-2B, j वीजा (सांस्कृतिक और शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए) की कुछ कैटिगरी, L-1 वीजा को सस्पेंड किया गया है। इसका मकसद पहले अमेरिकी नागरिकों को नौकरी उपलब्ध कराना है।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से अमेरिका में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। पिछले सप्ताह तक अमेरिका में बेरोजगारों की संख्या 4.6 करोड़ पहुंच चकुी है। हालांकि, उन उपायों से केवल 5 लाख 25 हजार नौकरियां ही उपलब्ध होंगी।
हाई स्किल्ड नॉन इमीग्रेंट एच-1बी वीजा को सस्पेंड किए जाने की जानकारी हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले ही दी थी। इससे भारतीय प्रफेशनल्स पर काफी असर पड़ेगा, क्योंकि इसके सबसे बड़ी लाभार्थी भारतीय ही थे। साल भर में दिए जाने वाले 85,000 वीजा में से 70 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी भारतीयों की थी।
एच-4 वीजा सस्पेंशन का भी सबसे अधिक प्रभाव भारतीयों पर ही पड़ेगा। यह एच-1बी वीजा धारक के पत्नी को ग्रीन कार्ड मिलने तक वर्क परमिट की सुविधा देता है। भारतीय इस वीजा का सबसे अधिक लाभ उठाते हैं।
भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की कतार बहुत लंबी है, मौजूदा वेटिंग टाइम के हिसाब से सभी आवेदकों को यह मिलने में 100 साल का समय लगेगा। 2015 में बराक ओबामा ने H-4 वीजा को लागू किया था। लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे खत्म करना चाहता है।
यदि एच-1बी वीजा में स्थायी परिवर्तन कर दिया जाता है तो यह भारतीय प्रफेशनल्स पर सबसे बुरा और देर तक असर करने वाला होगा।