ऐसा प्रतीत होता है कि काफिले की सुरक्षा को करीब-करीब हरी झंडी दी गई थी. सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी (रोप) रोज सुबह आईईडी की उपस्थिति को जांचने के लिए राजमार्गो की जांच करती है. क्षेत्र में सेना की बहुलता है और राजमार्गो पर हमेशा तत्काल प्रतिक्रिया समूह मौजूद रहता है.
काफिला जैसे ही श्रीनगर से 27 किलोमीटर पहले लेथपोरा पहुंचा, एक पीछा कर रही विस्फोटक से भरी कार ने काफिले के पांचवी बस को बांयी तरफ से टक्कर मार दी. विस्फोट में दूसरे बस को भी नुकसान पहुंचा. क्षेत्र में गोलीबारी की आवाज सुनी गई, लेकिन कोई नहीं जानता यह गोलीबारी किसने की. अब शहीद जवानों की संख्या 49 तक पहुंच गई है और कम से कम दर्जन से ज्यादा घायल हैं.
काफिले में मौजूद सीआरपीएफ के एक जवान ने कहा कि जबरदस्त धमाके ने सभी को चौंका दिया. वहां केवल अफरा-तफरी और भ्रम की स्थिति थी-मैं वहां केवल धुआं देख पा रहा था. उन्होंने कहा, “हमें हमारे वाहनों में वापस जाने के लिए कहा गया.”
सीआरपीएफ के एक अन्य जवान ने कहा, “हमें वाट्सअप संदेश के जरिए इस विस्फोट के बारे में जानकारी मिली. जैसे ही हम बस से नीचे उतरे, हमने अफरा-तफरी देखी-हमने हमारे साथियों के बुरी तरह से जले और कटे हुए अंग देखे और सुलगती हुई आग देखी.”
विस्फोट के तुरंत बाद पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली. उसने कहा कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक स्थानीय फिदायीन अदिल अहमद डार ने यह हमला किया. इसके साथ ही संगठन ने डार का एक वीडियो भी जारी किया.
हमले की जांच कर रहे राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि डार ने संभवत: 150 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट (सुपर 90)-एक उर्वरक जिसका कम तीव्रता के धमाके के लिए प्रयोग किया जाता है, का प्रयोग किया. जांच अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए एनआईए सूत्रों ने पुलवामा हमले में आरडीएक्स के प्रयोग या दो विस्फोटकों की संभावना से इनकार नहीं किया है.