राहुल यादव, लखनऊ।
अजय ने मांग की है कि प्रशिक्षु चिकित्सकों को प्रति महीने कम से कम 25 हजार रूपये मानदेय मिलना चाहिए।
अगर जनता के दिए हुए टैक्स के पैसे से करोड़ों रुपए सीएम की सुरक्षा पर सालाना खर्च किए जा सकते हैं तो जनता का पैसा जनता को बचाने के लिए कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं पर भी खर्च किया जाना चाहिए।
लल्लू ने कहा कि सूबे में कोरोना प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सीएम योगी का गृह जिला गोरखपुर में भी अब इस महामारी ने दस्तक दे दी है।
जब मुख्यमंत्री अपने गृह जिले को महामारी से नहीं बचा पा रहे हैं तो फिर सूबे की हिफाजत कैसे करेंगे ?
जो संसाधन स्वास्थ्य व्यवस्था पर खर्च होना चाहिए वो गैर जरूरी कामों पर खर्च हो रहे हैं।
लल्लू ने प्रशिक्षु चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाने के लिए बार फिर से मांग की है।
लल्लू ने कहा कि जब एमपी में प्रशिक्षु चिकित्सकों को हर महीने 45 हजारे रूपये, असम में 35 हजार रूपये, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में 17000 रूपये मानदेय दिया जा सकता तो फिर उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है ?
आखिर 250 रुपये प्रतिदिन में कैसे चलेगा प्रशिक्षु चिकित्सकों का गुजारा ?
250 रुपये में तो दस किलो आलू भी नहीं खरीदा जा सकता।