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कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप को बताया गलत, पीएम केयर्स फंड पर भी साधा निशाना

कोरोना को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेश के बाद उच्चतम न्यायालय का हस्तक्षेप गलत है और इससे महामारी से निपटने में दिक्कत पैदा होगी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्च न्यायालय लोगों के अधिकारों की रक्षा को लेकर राज्य सरकारों की जिम्मेदारी की जब बात कर रहे है तो उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप का ऐसे में कोई औचित्य नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना की स्थिति पर केंद्रीय व्यवस्था की जरूरत नहीं बल्कि विकेंद्रित आधार पर स्थिति को सुलझाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि उच्चतम न्यायालय जिस तरह से व्यवस्था देने का प्रयास कर रहा है उससे स्थिति सुलझेगी नहीं बल्कि और बिगड़ जाएगी प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना की वर्तमान स्थिति में टीका सार्वजनिक संपत्ति है और इस समय लोगों की जान बचाना ज्यादा आवश्यक है।

लोगो की जान का वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है इसलिए टीके की कीमतें अलग-अलग रखना न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह से मामले में हस्तक्षेप किया है वह महामारी की रोकने के काम में लगी संस्थाओं में हिचक पैदा करेगा, जो संगठन संक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं और लोगों को राहत दे रहे हैं न्यायालय के इस हस्तक्षेप से उनमें भय पैदा होगा इसलिए यह हस्तक्षेप गलत है।

कांग्रेस ने कोरोना के संघर्ष में सरकार पर असफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इस बारे में राष्ट्र को संबोधित जो कुछ कहा है वह जुमलेबाजी थी और उसमें कहीं भी जमीनी हकीकत को तथ्यों के साथ नहीं बताया गया था। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी ने दो दिन पहले कोरोना की स्थिति को लेकर जो संबोधन दिया उसमें स्पष्ट नही किया गया कि देश में कोविड मरीजों के उपचार के लिए वैक्सीन, ऑक्सीजन और अस्पतालों की कमी क्यों है।

उन्होंने कहा कि कोरोना की लड़ाई के लिए श्री मोदी ने पीएम केयर फंड की स्थापना की थी लेकिन इस बारे में उन्होंने देश को अब तक कुछ भी खुलकर नहीं बताया है। कोरोना की लड़ाई में इस निधि का इस्तेमाल किस तरह से और किन बिन्दुओं पर हो रहा है देश को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि देश करीब डेढ़ साल से इस महामारी से जूझ रहा है लेकिन सरकार ने इससे निपटने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति तैयार नहीं की। उन्होंने सवाल किया कि जब प्रधानमंत्री ने कोरोना की स्थिति पर देश को संबोधित किया तो उन्होंने उपदेश देने की बजाय तथ्यों के साथ स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं किया।

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