कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद लगी पाबंदियों के चलते वहां से सेब और अन्य सूखे मेवे जैसे अखरोट और केसर की आपूर्ति प्रभावित हो गई है। कश्मीर घाटी से यह सारी वस्तुएं जम्मू की थोक मंडी में आती हैं, जहां से पूरे देश में इनकी आपूर्ति की जाती है। आतंकियों द्वारा कश्मीर से निर्यात किए जाने वाले सेब पर भारत विरोधी नारे लिखकर लोगों में दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है। शुक्रवार को आतंकवादियों ने सेब की पेटियों में आग भी लगा दी थी। सूचना मिलते ही सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे और आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने में सफलता पाई। लेकिन इस दौरान पांच से छह पेटियों में रखे सेब जलकर राख हो गए। इस साल नौ अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर के किसानों ने 4.5 लाख टन सेब का निर्यात किया है। 4.5 लाख टन सेब का निर्यात पिछले साल 2018 की समान अवधि से करीब सवा लाख टन कम है। बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सेब का उत्पादक देश है। सेब भारत में सर्वाधिक खपत होने वाले आयातित फल में शुमार है। भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में सेब का उत्पादन होता है। एक आंकड़े के अनुसार, भारत में होने वाले सेब के कुल उत्पादन का 24 गुना ज्यादा तक आयात बाहरी देशों से किया जाता है। सेब के अतिरिक्त कश्मीर में अखरोट का भी उत्पादन होता है।
देश में करीब 90 फीसदी अखरोट और गिरी का उत्पादन कश्मीर में ही होता है। व्यापारियों के अनुसार, इसका हर वर्ष करीब 100 करोड़ का कारोबार होता है। श्रीनगर से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित सीमावर्ती बारामुला सेक्टर का उड़ी कस्बा सीजफायर उल्लंघन के दौरान गोलीबारी की मार झेलता है और लगातार सुर्खियों में रहता है। मुख्य बात यह है कि इस क्षेत्र का देश और विदेश के लिए अखरोट और गिरी में 60 फीसदी योगदान है। हर वर्ष 100 मीट्रिक टन अखरोट का कारोबार यहीं से होता है। इसकी मांग भी बढ़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए किसान भी उत्पादन को बढ़ा रहे हैं। बता दें कि उड़ी के लगामा इलाके में अखरोट की सबसे बड़ी मंडी है। जहां उड़ी के अलावा सारे कश्मीर का अखरोट पहुंचता है।