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ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई 30 बच्चों की मौत

लखनऊ: मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पिछले 48 घंटों के भीतर 30 बच्‍चों ने ऑक्‍सीजन की कमी के करण दम तोड़ दिया है। मामला इंसेफेलाइटिस विभाग का है। कालेज प्रशासन ने इतनी बड़ी बारदात को अपने उच्च अधिकारीयों, मंत्री और अन्य सम्बंधित अधिकारीयों को ये बात नहीं बताई.

बताया गया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गुरुवार रात को ही लिक्‍विड ऑक्‍सीजन खत्‍म हो गई थी। जिसके बाद तकरीबन 30 बच्‍चों ने दम तोड़ दिया है। हालांकि इस सम्बन्ध में कालेज प्रशासन केवल 7 बच्चों की मौत की बात स्वीकार रहे हैं.वहीँ दूसरी ओर राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यहाँ बताया कि किसी भी बच्चे की मौत ऑक्सीजन की कमी की बजह से नहीं हुयी है ,जो सात बच्चे मरे हैं वो अलग अलग कारणों से मरे हैं। मीडिया में जो खबरे चल रही हैं उनमें सत्यता नहीं है।

जानकारी के अनुसार मेडिकल कालेज में पुष्पा सेल्स कंपनी लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई करती है। वहीं मेडिकल कालेज प्रशासन ने कंपनी का लगभग 69 लाख रूपये का भुगतान नहीं किया है। पिछले दो महीने से कंपनी प्राचार्य को पत्र लिखकर भुगतान के बारे में चेताती रहीं लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जिससे कंपनी ने कालेज को आक्सीजन सप्लाई करने से मना कर दिया।

इसके बाद शुक्रवार को दिनभर मेडिकल कॉलेज में अफरातफरी का माहौल रहा। इंसेफेलाइटिस विभाग के तीमारदारों को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई हर तरफ रोने-चिल्लानें की आवाजें आने लगी। इंसेफेलाइटिस विभाग में जहां पहले 4 मरीजों ने दम तोड़ दिया वहीं ये संख्‍या पिछले 48 घंटों 30 तक पहुंच गई। बावजूद इसके अस्‍पताल प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई।

पंप ऑपरेटर ने दी थी जानकारी, नहीं चेता कॉलेज प्रशासन
मेडिकल कॉलेज के लिक्विड आक्सीजन पंप संचालक ने इस पूरे मामले की जानकारी गुरूवार को ही मेडिकल कालेज के प्राचार्य, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, नोडल अधिकारी एनएचएम को दी थी। फिर भी इन अधिकारियों पर इस गंभीर मामले को लेकर भी जू न रेंगी जिससे शुक्रवार को हालात बद से बदतर हो गये।

ये वार्ड हुये प्रभावित
100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड, ट्रामा सेंटर, 12,14 मेडिसिन इमरजेंसी वार्ड, 2,6 चिल्ड्रेन वार्ड लिक्विड आक्सीजन की कमी से प्रभावित रहे।

100 वार्ड प्रभारी डा कफील खान ने संभाला मोर्चा
लिक्विड आक्सीजन की कमी के बाद इंसेफेलाइटिस वार्ड के मरीजों पर संकट के बादल छा गये। मामले की गंभीरता को समझते हुये इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी कफील खान ने आक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था के लिये अपने जानने वाले हर शख्स से संपर्क किया।

उन्होने एसएसबी डीआईजी को मामले से अवगत कराया। जिसके बाद एसएसबी डीआईजी ने मामले की गंभीरता को समझते हुये तुरंत 10 सिलिण्डर भिजवाये। वहीं 8 सिलिण्डर की व्यवस्था निजी अस्पताल ने कराई। साथ ही प्रशासन ने 50 सिलिण्डर फैजाबाद से मंगवायें।

कंपनी ने पहले कहा हां, समय आने पर कहा ना
अचानक लिक्विड आक्सीजन खत्म होने पर प्रशासन ने आक्सीजन सिलिण्डर सप्लाई करने वाली गोरखपुर की कंपनी मयूर से संपर्क किया। संपर्क करने पर उसने नकद पैसे पर 50 सिलिण्डर देने के लिये सहमत हो गये। 100 वार्ड प्रभारी कफील खान ने 10 हजार रूपये देकर सिलिण्डर लेने के लिये गाड़ी भेजी तो कंपनी ने सिलिण्डर देने से मना कर दिया।

आक्सीजन सप्लाई करने वाली तीनों कंपनी ने कहा न
बाला जी कंपनी, मयूर कंपनी, मोदी कंपनी। लेकिन तीनों ने सिलिण्डर देने से मना कर दिया।

150 सिलिण्डर की है रोज जरूरत
मेडिकल कालेज में 150 आक्सीजन सिलिण्डर की रोज की खपत है।

एक बार में लगते है 16 सिलिण्डर
आक्सीजन सिलिण्डर की सबसे ज्यादा जरूरत इंसेफेलाइटिस वार्ड में जरूरत पड़ती है। इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों को आक्सीजन पर रखा जाता है। वार्ड में एक बार में 16 सिलिण्डर लगते है। जो मात्र एक घंटे पंद्रह मिनट ही चल सकता है।

इस मामले में मेडिकल कालेज के प्राचार्य राजीव मिश्रा से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होने फोन नहीं उठाया यहीं नहीं थोड़ी देर बाद उन्होने अपना फोन स्विच आफ भी कर दिया।

इन्सेफेलाइटिस क्या है
मस्तिष्क ज्वर या इन्सेफेलाइटिस आम तौर पर सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाला एक संक्रमण है। अधिकतर संक्रमण वायरस के कारण होते हैं तथा बैक्टीरिया, फंगी और प्रोटोजोआ अन्य सबसे आम कारण हैं। यह कई गैर-संक्रमण कारणों से भी हो सकता है। मस्तिष्क ज्वर मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु (रीढ़ की हड्डी) को ढंकने वाली सुरक्षात्मक झिल्लियों में होने वाली सूजन होती है तथा सामूहिक रूप से इसे मेनिन्जाइटिस कहा जाता है। मस्तिष्क में सूजन संक्रमण के कारण होती है।

सामान्य मामलों में कोई लक्षण नहीं होता है। लेकिन हल्का फ्लू हो तो जरूर आपको चेत जाना चाहिए। कमजोरी, चक्कर आना, दौरा पड़ना और संवेदना महसूस न करना, अगर इस तरह के लक्षण दिखने लगे, तो आपको जरूर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

यह पशुओं या कीटों से फैलता है। कोई जानवर या कीड़े के काटने से यह बीमारी हो सकती है। इसका संक्रमण बैक्टीरियल या वायरल दोनों हो सकता है।

असेप्टिक मेनिन्जाइटिस उन मामलों को बताता है जिनमें कोई बैक्टीरिया जनित संक्रमण प्रदर्शित नहीं होते हैं। इस प्रकार का मस्तिष्क ज्वर आम तौर पर वायरस के कारण होता है, लेकिन यह ऐसे बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के कारण भी हो सकता है जिनका पहले आंशिक उपचार हो चुका हो, जब मस्तिष्क ज्वर से बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं या पैथोजन मस्तिष्क ज्वर से सटे स्थान को संक्रमित करते हैं।

एंडोकार्डाइटिस (दिल के वॉल्व का एक संक्रमण जो रक्त प्रवाह के माध्यम से बैक्टीरिया के छोटे गुच्छों को फैलाता है) से भी असेप्टिक मस्तिष्क ज्वर हो सकता है। असेप्टिक मस्तिष्क ज्वर, स्पाएरोशेट (सर्पकीट) से संक्रमण के कारण भी हो सकता है, यह एक प्रकार का कीट है जिसमें ट्रेपोनेमा पैलिडम (सिफलिस का कारक) और बोरेलिया बर्गडॉरफेरि (लाइम रोग पैदा करने के लिये जाना जाने वाला) शामिल है।

मस्तिष्क ज्वर में सेरेब्रल मलेरिया (मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला मलेरिया) या अमीओबिक मेनिन्जाइटिस, अमीबा जैसे नाइग्लेरिया फाउलेरी से संक्रमण के कारण होने वाले मस्तिष्क ज्वर से हो सकता है जो स्वच्छ हवा स्रोतों के संपर्क से फैलते हैं

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