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उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में पुरी जगन्नाथ यात्रा को सोमवार को सशर्त इजाजत

अशाेेेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में पुरी जगन्नाथ यात्रा को सोमवार को सशर्त इजाजत दे दी। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करने के बाद कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर रथयात्रा निकालेगी और सुरक्षा के उपाय करेगी।

आदेश सुनाते वक्त मुख्य न्यायाधीश का माइक बीच में ही बंद हो गया। बाद में उन्होंने कहा कि खंडपीठ के दोनों साथी न्यायाधीशों के आदेश की प्रति देख लेने के बाद संबंधित विस्तृत आदेश वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा। न्यायमूर्ति बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को खतरे में देखकर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए स्वतंत्र है।

उन्होंने कहा, “हम सरकार को यह नहीं कह रहे कि उसे क्या करना चाहिए, लेकिन हम कुछ शर्तों के साथ इसकी (रथयात्रा की) अनुमति दे रहे हैं।”

मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के शुरू में ही स्पष्ट कर दिया कि वह केवल पुरी की रथयात्रा के लिए ही आदेश में संशोधन पर विचार कर रहे हैं, न कि पूरे राज्य में। ओडिशा सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सेवायत रथ को खीचेंगे। ये सेवायत कोरोना निगेटिव हैं।

रथयात्रा के खिलाफ सबसे पहले शीर्ष अदालत पहुंचे गैर-सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की ओर से पेश वकील रंजीत कुमार ने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए रथयात्रा के लिए मामूली संख्या में लोग होने चाहिए।

इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “हम यात्रा का सूक्ष्म स्तर पर प्रबंधन नहीं करेंगे। यह सरकार का काम है।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को लेकर दिशानिर्देश जारी किये गये हैं और उनका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रथयात्रा निकालने से सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सके।”

इसके बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने सुरक्षा और सेहत के प्रबंधन के मसले पर श्री साल्वे और श्री मेहता को फोन पर बातचीत करने को कहा। बातचीत के बाद श्री साल्वे ने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार मंदिर प्रबंधन समिति और केंद्र सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करके यात्रा को अंजाम देगी। इसके बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने आदेश लिखवाना शुरू किया।

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