लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा के पास गिनाने को न तो विकास कार्य हैं और बताने के लिए नहीं कोई उपलब्धि तो वे बहकी-बहकी बातें करने लगे हैं। अपनी सरकार में बिगड़ते हालात पर ध्यान देने के बजाय समाजवाद और समाजवादियों को लेकर वे अधिक चिंतित रहते हैं। भाजपा का राजनीतिक एजेण्डा संविधान से इतर समाजवादी व्यवस्था के विरूद्ध है। समाज में नफरत और दूरी पैदा करने की भाजपा की लगातार कोशिश रहती है। भाजपा का मातृ संगठन आरएसएस की विचारधारा असहिष्णुता का पाठ पढ़ाती है। भाजपा का गांधीजी, सरदार पटेल, आचार्य नरेन्द्र देव, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डाॅ0 लोहिया की विचारधारा से कभी कोई सम्बंध नहीं रहा है।
ये सभी स्वतंत्रता सेनानी थे जबकि आरएसएस स्वतंत्रता आंदोलन का कभी हिस्सा नहीं बना था। भारत के संविधान में जहां पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र है वहीं समाजवाद का भी उल्लेख है। इस समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम समाजवादी पार्टी कर रही है। जो समाज के सबसे गरीब, शोषित और वंचित वर्ग की आवाज बन गई है। विशेषाधिकार प्राप्त लोग ही इसमें जातिवाद ढूढ़ते हैं। यह पूरी तरह से योजनाबद्ध ढंग से प्रचारित झूठ है। इसका फायदा खास षोशक वर्ग को मिलता रहे इसलिए भाजपा यह भ्रांति फैलाती है। भाजपा समाजवादी पार्टी के विरूद्ध नफरत भरी साजिश इसलिए भी करती है क्योंकि वह सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन का आह्वान कर उस दिशा में प्रयासशील है। भाजपा सामाजिक असमानता को बनाए रखना चाहती है क्योंकि तभी कारपोरेट दुनिया उसकी संरक्षक बनी रहेगी। समाजवाद के प्रति अनर्थ की अभिव्यक्ति भी इसीलिए भाजपा नेतृत्व करता रहता है।
भाजपा को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि जब तक सामाजिक विषमता और अन्याय रहेगा तब तक समाजवादी विचारधारा की सार्थकता बनी रहेगी। उपदेशों और प्रवचनों से भूखों का पेट नहीं भरता है। जन-समस्याओं के समाधान की दिशा में भाजपा को काम करना चाहिए।जनता का ध्यान मूल समस्याओं से भटकाने के लिए ही अब भाजपा सांसदों की पदयात्रा का ढोंग करने जा रही है। जनता समस्याओं से कराह रही है। समाजवादी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विकास की जो योजनाएं लागू की थी उन्हीं को लक्ष्य कर भाजपा ने अवरोधक की भूमिका निभाई है। भाजपा की राग-द्वेषपूर्ण भावना से विकास अवरूद्ध हुआ है। सामाजिक स्तर पर भी बदले की भावना का प्रदर्शन होने से अन्याय और अत्याचार की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। अब जनता भाजपा की सच्चाई जान गई है। जनभावना के विपरीत भाजपा की साजिश लोकतंत्र के विरूद्ध है। गरीबी, बेकारी, किसानों की दुर्दशा, नौजवानों की बेकारी इनके समाधान की कहीं कोई चर्चा नहीं है। यह जनता की आशाओं पर कुठाराघात है। भाजपा दीवारों पर लिखे को मिटाने की जो कोशिश कर रही है, अंततोगत्वा वह उसके लिए ही घातक साबित होगी।