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सुप्रीम कोर्ट-अयोध्या मामले पर अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी

लखनऊ /नई दिल्लीः अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलें रखीं. धवन ने कहा कि मस्ज़िद को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा न मानने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है. उन्होंने कहा कि मस्ज़िद में नमाज के लिए जमा होना इस्लाम का ज़रूरी हिस्सा. जिस तरह ईसाई रविवार को चर्च में प्रार्थना के लिए जमा होते हैं, वैसे ही मुस्लिम शुक्रवार को और धार्मिक कार्यक्रमों में मस्ज़िद में जमा होते हैं. उन्होंने कहा, ‘मस्जिद मजाक के लिए नहीं बनाई जाती है, सैंकड़ों की संख्या में लोग वहां प्रार्थना के लिए इकट्ठा होते हैं, क्या वह इस अदालती प्रक्रिया का जरूररी हिस्सा नहीं है?’इससे पहले प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिन्दू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं, जिनमें उन्होंने मुस्लिमों के इस अनुरोध का विरोध किया था कि मस्जिद को इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का आंतरिक भाग नहीं मानने वाले 1994 के फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाए.

 

अयोध्या मामले में मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल और निधन के बाद कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा प्रतिनिधित्व पाने वाले एम सिद्दीकी ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 में आये फैसले के कुछ निष्कर्षों पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने पीठ से कहा था कि अयोध्या की जमीन से जुड़े भूमि अधिग्रहण मामले में की गई टिप्पणियों का, मालिकाना हक विवाद के निष्कर्ष पर प्रभाव पड़ा है.

हालांकि हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस मामले को सुलझाया जा चुका है और इसे फिर से नहीं खोला जा सकता. शीर्ष अदालत की विशेष पीठ चार दीवानी वादों पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर विचार कर रही है.

वर्ष के अंत तक राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने उम्मीद जतायी है कि इस वर्ष के अंत तक सभी बाधाओं को दूर करते हुए कानून एवं संविधान सम्मत तरीके से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है. विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष ने कहा, ‘उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना आधार पर करेगा. अगर ऐसा होता है तब इस मुद्दे पर सितंबर तक फैसला आ सकता है. ऐसा मुझे विश्वास है और यह बात मैं परिस्थितजन्य मूल्यांकन के आधार पर कह रहा हूं.’सुप्रीम कोर्ट से पहले विवादित भूमि मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने बहुमत के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल की भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड , निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था.

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