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अनामिका शुक्ला मामले की हो न्यायिक जांच – राजीव शुक्ला

 

राहुल यादव, लखनऊ।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि महासचिव प्रियंका गांधी पिछले 3 दिन से लगातार शिक्षा विभाग के घोटाले पर जोर दे रही हैं और उन्होंने तमाम ऐसे लोगों से बात की, जो शिक्षकों की भर्ती के घोटाले के शिकार थे। उन लोगों की समस्याओ को उजागर किया। लेकिन इसके बाद भी अभी तक प्रदेश सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी।
69,000 शिक्षकों की भर्ती के घोटाला को लेकर सैंकड़ों वॉट्सअप ऐसे लोगों के आते रहते हैं कि मदद करो, मदद करो, बहुत गड़बड़ चल रही है। लेकिन सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। अब जो नई बात बीच में आई है कि अनामिका शुक्ला नामक महिला ने तो एक करोड़ तक लिए। उसको लेकर बड़ा हंगामा हुआ और अनामिका शुक्ला को गिरफ्तार करो, अनामिका शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही हो और तरह तरह की बातें, कैंपेन चला। बाद में मीडिया ही गोंडा से अनामिका शुक्ला को लेकर आयी। तब पता चला कि बेचारी के पास नौकरी है ही नहीं। वो तो आर्थिक स्थिति से परेशान भी है और उसका कोई लेना-देना है ही नहीं, वो हर जगह हाई स्कूल में फर्स्ट क्लॉस, इंटर मीडिएट में भी फर्स्ट क्लास, बीएससी में भी फर्स्ट क्लास, बीएड भी किया, उसने अप्लाई किया था और अप्लाई होने के बाद  वो काउंसलिंग में नहीं जा पाई। लेकिन पूरे प्रदेश में, कई जगह शिक्षा विभाग में जो रैकेट चलता है, उन लोगों ने उसके कागजों का इस्तेमाल करके जगह-जगह उसके नाम पर नौकरियां दे दी। क्योंकि उनके कागज अच्छे थे, दस्तावेज अच्छे थे। फर्जी अनामिका शुक्ला के नाम को क्रियेट करके तनख्वाह निकाली जा रही थी। ये रैकेट, ये स्कैंडल वहाँ बहुत जोर से चल रहा था।
लगातार हम लोग मांग कर रहे थे कि इसके साथ अन्याय हो रहा है। इस बेचारी को नौकरी भी नहीं मिली है और इसके नाम पर घोटाला चल रहा है, उसकी जांच हो। जांच तो अपनी जगह पर, उस पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं आई।
अब सरकार के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने स्वीकार भी कर लिया है कि रैकेट चल रहा है, ये घोटाला चल रहा है। जैसे शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने बताया है कि उनके नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर लोग वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर…. में हर जगह लोगों ने नौकरियां हासिल की। अब तो सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि ये गड़बडियां चल रही है, धांधली चल रही है, घोटाला चल रहा है, तो अगला स्टेप प्रदेश सरकार क्या ले रही है? जब बेसिक शिक्षा मंत्री स्वीकार कर रहे हैं कि हां, घोटाला हुआ है, तनख्वाह ली जा रही है तो आगे सरकार इस पर क्या कदम उठा रही है?
हमारी कांग्रेस पार्टी इस पर न्यायिक जांच कराई जाने की मांग की है। क्योंकि ये तो एक खुला है, इसके बाद इसके अंदर कितना है? पूरे शिक्षा विभाग में किसी को पता नहीं कि किस तरह का घोटाला चल रहा है, चाहे भर्ती का हो या वेतन का हो? इसी में दो और केस रिपोर्ट हुए हैं, जिनसे हिसाब से अगर हम देखें तो ललितपुर में  12 फर्जी उर्दू शिक्षकों का नाम आया। 12 फर्जी अपोयेंटमेंट हुए, उनके नाम पर तनख्वाह निकाली जा रही हैं। श्रावस्ती में 6 फर्जी शिक्षक सामने आए हैं। आप देखेंगे कि सैंकड़ों, हजारों की तादाद में लोगों को भर्ती करके उनके नाम पर तनख्वाएं ली जा रही है। ये पूरा घोटाला चल रहा है, परंतु कोई कार्यवाही हुई नहीं। अब स्वयं जब शिक्षा मंत्री ने स्वीकार कर लिया है कि हां, गड़बड़ी है, तो कार्यवाही क्या हो रही है?
इसी पर हमारी कांग्रेस पार्टी की मांग है कि तत्काल सुप्रीम कोर्ट के जज से इस मामले की न्यायिक जांच कराई जाए कि ताकि इतना बड़ा घोटाला पकड़ा जा सके और इस पूरी जांच में शिक्षा विभाग का, जितना ये घोटाला है, चाहे भर्ती का हो, चाहे वेतन का हो, दोनों को शामिल किया जाए। इसके अलावा ये जो पीड़िता है अनामिका शुक्ला, जिनकी बदनामी पूरे देश में उड़ा दी गई, उसकी नौकरी की व्यवस्था होनी चाहिए और परिवार को सुरक्षा दी जाए। 

 शुक्ला ने कहा कि शिक्षा विभाग के घोटालों पर कंट्रोल कोई नहीं कर पाया, अब ये खुलकर सामने आ गया है । अब, जब ये पूरी तरह से सामने आ गया, तो ये सरकार कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है? इसका मतलब है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार पर भी वही माफिया हावी है, वही गुट हावी है। उन सबके विरुद्ध तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए। 

 शुक्ला ने कहा कि जो एसटीफ की जांच होगी, वो वहीं की लोकल पुलिस करती है, वो पूरी तरह से सरकार के अधिकार में रहती है और उसमें निष्पक्ष जांच की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है। इसलिए भी चूंकि लगातार ये चल रहा है और ये बहुत बड़ी समस्या है और शिक्षा एक ऐसी चीज है कि अगर उसमें गड़बड़ी है, तो देश की कैसी पीढ़ियाँ हम पैदा करेंगे, आप इसका अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए अगर इसकी न्यायिक जांच होगी तो कम से कम दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अगर सरकार इसमें पारदर्शी है और जीरो टोलरेंस है तो फिर न्यायिक जांच से क्यों झिझकना? एसटीएफ तो उन्हीं की है, एसटीएफ से तो जो चाहें वो कर लें, जो चाहें सो रिपोर्ट लगवा लें। इसमें तो कोई बात नहीं है, इसलिए न्यायिक जांच की मांग है।

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