लखनऊ : मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार 2014 में कई बड़े वादों के साथ सत्ता में आई, जिसमें से एक था गंगा की सफाई का वादा. लेकिन अभी भी गंगा का हाल वैसा ही लगता है. देश में 2,071 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली नदी गंगा के बारे में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (World Wildlife Fund) का कहना है कि गंगा विश्व की सबसे अधिक संकटग्रस्त नदियों में से एक है क्योंकि लगभग सभी दूसरी भारतीय नदियों की तरह गंगा में लगातार पहले बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है.
उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक गंगा विशाल भू-भाग को सींचती है. गंगा भारत में 2,071 किमी और उसके बाद बांग्लादेश में अपनी सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है.
गंगा नदी के रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं जबकि दक्षिण के पठार से आकर मिलने वाली प्रमुख नदियों में चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि शामिल हैं. यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है, जो हिमालय की बन्दरपूंछ चोटी के यमुनोत्री हिमखण्ड से निकलती है.
गंगा उत्तराखंड में 110 किमी, उत्तर प्रदेश में 1,450 किलोमीटर, बिहार में 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी का सफर तय करते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है.
देश के सबसे पवित्र स्थानों में शुमार ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग और काशी, गंगा के तट पर स्थित हैं. इसके अलावा केदारनाथ, बद्रीनाथ और गोमुख गंगा और उसकी उपनदियों के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों में से एक हैं. जिन चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, उनमें से दो शहर हरिद्वार और प्रयाग गंगा तट पर स्थित हैं.
एक समाचार एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, जहां तक प्रदूषण की बात है तो गंगा ऋषिकेश से ही प्रदूषित हो रही है. गंगा किनारे लगातार बसायी जा रही बस्तियों चन्द्रभागा, मायाकुंड, शीशम झाड़ी में शौचालय तक नहीं हैं. इसलिए यह गंदगी भी गंगा में मिल रही है, कानपुर की ओर 400 किमी उलटा जाने पर गंगा की दशा सबसे दयनीय दिखती है. इस शहर के साथ गंगा का गतिशील संबंध अब बमुश्किल ही रह गया है.