अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ छोटे दलों के गठबंधन के साथ उतर रही समाजवादी पार्टी ने बीते दिनों अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है। राष्ट्रीय लोकदल ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी फाइनल कर दिए हैं, माना जा रहा है कि अयोध्या मंडल में भी उनको एक-दो सीट मिल सकती है।
योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने शुक्रवार को अपने तीन प्रत्याशियों की एक सूची जारी की है।
इसमें तीन जिलों से एक-एक प्रत्याशी का नाम शामिल है। इसके साथ ही लिखा गया है कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशियों की तीसरी सूची भी जल्दी ही जारी की जाएगी।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने हरदोई के संडीला से सुनील अर्कवंशी, सीतापुर के मिश्रिख से मनोज कुमार राजवंशी तथा बहराइच के बलहा से ललिता हरेन्द्र को प्रत्याशी घोषित किया है।
इससे पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भाजपा को टक्कर देने का निर्णय लिया है। वह यहां की शिवपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। शिवपुर से वर्तमान में विधायक अनिल राजभर योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
ओमप्रकाश ने बताया कि सपा गठबंधन में सुभासपा को वाराणसी की शिवपुर व अजगरा सीट मिली है। हम तो कार्यकर्ताओं की इच्छा के सम्मान में शिवपुर से चुनाव लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव 2017 में शिवपुर से भाजपा प्रत्याशी अनिल राजभर ने एक लाख 10,453 वोट पाकर जीत हासिल की थी।
उन्होंने सपा के आनंद मोहन गुड्डू यादव को 54,259 वोट से हराया था। तीसरे स्थान पर रहे बसपा के वीरेंद्र सिंह को 46,657 मत मिले थे। इसके साथ ही अगजरा सीट पर भी प्रत्याशी जल्दी ही तय होगा। अभी उनको गाजीपुर की जहूराबाद सीट के फाइनल होने का भी इंतजार है।
ओम प्रकाश राजभर जहूराबाद से चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बने थे। पिछले चुनाव में सुभासपा और भाजपा का गठबंधन था। सुभासपा को गाजीपुर में दो सीटें जहूराबाद व जखनियां मिलीं थीं। जहूराबाद से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर विधायक चुने गए थे, जबकि जखनियां से त्रिवेणी राम विधायक निर्वाचित हुए थे।
ओमप्रकाश राजभर भाजपा सरकार में पिछड़ा वर्ग व दिव्यांग कल्याण मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में वह सरकार से अलग हो गए थे। इस बार के चुनाव में सुभासपा ने सपा से गठबंधन कर लिया है। गठबंधन का सहयोगी प्रसपा भी है। इस बार गठबंधन का सबसे अधिक पेंच सुभासपा अध्यक्ष की सीट जहूराबाद पर ही फंसा है।