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राष्ट्रपति तो नाम मात्र का मुखिया है, राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं : सिब्बल

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जगदीप धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ का बयान देखकर मुझे दुख और आश्चर्य हुआ। आज के समय में अगर किसी संस्था पर पूरे देश में भरोसा किया जाता है तो वह न्यायपालिका है।

सिब्बल ने आगे कहा कि जब सरकार के कुछ लोगों को न्यायपालिका के फैसले पसंद नहीं आते तो वे उस पर अपनी सीमा लांघने का आरोप लगाने लगते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्हें पता है कि संविधान ने अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को पूर्ण न्याय देने का अधिकार दिया है ? राष्ट्रपति तो केवल नाममात्र का मुखिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति कैबिनेट के अधिकार और सलाह पर काम करते हैं। राष्ट्रपति के पास कोई निजी अधिकार नहीं है। जगदीप धनखड़ को यह बात पता होनी चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब धनखड़ ने शीर्ष अदालत पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘सुपर संसद’ नहीं बन सकती और भारत के राष्ट्रपति को निर्देश देना शुरू नहीं कर सकती।

उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों का वह समूह अनुच्छेद 145(3) के तहत किसी चीज़ से कैसे निपट सकता है, यदि संरक्षित है, तो यह आठ में से पाँच के लिए था। हमें अब इसके लिए भी संशोधन करने की आवश्यकता है। आठ में से पाँच का मतलब होगा कि व्याख्या बहुमत से होगी। ठीक है, पाँच आठ में बहुमत से अधिक है। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए 24 x 7 उपलब्ध है।

 

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