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“युवाओं का भविष्य अंधकारमय हैं यदि समय रहते हैं निदान न किया गया तो परिणाम भयानक होंगे”-अनुपम मिश्रा

उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थान बदहाल-राष्ट्रीय लोकदल

अनुपूरक न्यूज़ एजेंसी, लखनऊ: टीम आर एल डी के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा ने आज प्रदेश के गिरते शिक्षा स्तर को लेकर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में लगातार विद्यार्थियों की संख्या घट रही है साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी गिरता जा रहा है जब गुणवत्ता का स्तर निम्न होगा तो हम भविष्य को नेतृत्व देने वाले प्रतिभाशाली युवाओं की फ़ौज को कैसे तैयार कर पाएंगे।
अनुपम मिश्रा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुकुरमुत्तों की तरह शैक्षणिक संस्थान तो खुल गये है किंतु एक संस्थान के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं की अनदेखी की गई।
उन्होंने कहा कि उनके आरोपों की सत्यता को परखने के लिए विधानमंडल के बजट सत्र में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कैग की रिपोर्ट को पढ़ा जा सकता है जो बेहद चिंतित करने वाली है।कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2015 से लेकर 2020 तक विश्वविद्यालय तथा डिग्री कॉलेजों की संख्या 5186- से बढ़कर 7183 हो गई यानी इस समय अवधि में 1997 संस्थानों की तो वृद्धि हुई किंतु छात्रों की संख्या 450000 घट गई!जबकि संस्थानों की संख्या की वृद्धि के साथ छात्रों की संख्या में भी वृद्धि होनी चाहिए थी ऐसा न होना यह दर्शाता है कि बहुत सारे संस्थानों में शिक्षा का स्तर इतना स्तर हीन है कि उन संस्थानों में अध्ययन के लिए छात्र उन्हें उचित नहीं मानते हैं चूंकि इन संस्थानों में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है इसलिए ये राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की मूल्यांकन प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेते हैं अधिकतर शैक्षणिक संस्थान शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी व सत्र-अनियमितता से जूझ रहे हैं।समाधान करने में शैक्षणिक संस्थान रुचि नहीं दिखाते और सरकार का रवैया उदासीन है। इस समस्या से यदि निदान पाना है तथा देश-प्रदेश के भविष्य को सुरक्षित व कुशल हाथों में सौंपना है तो इस समस्या से युद्ध स्तर पर सरकार को निपटना होगा सरकार को कर्मचारियों और शिक्षकों की कमी को तत्काल दूर करने हेतु भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करनी होगी,सत्र नियमितीकरण करना होगा ताकि छात्रों का भविष्य न ख़राब हो,जिन क्षेत्रों में उच्च शिक्षण संस्थान नहीं है वहाँ पर इनकी स्थापना कर क्षेत्रीय असंतुलन को दूर किया जाए,आधारभूत सुविधाएँ सभी संस्थानों में तत्काल सुनिश्चित की जाए,प्राइवेट कॉलेजों की शुल्क संबंधी प्रक्रिया को पारदर्शी व अफोर्डेबल बनाया जाए,अर्थात मनमाना शुल्क विद्यार्थियों से न वसूला जाए,पाठ्यक्रम को रोजगारोन्मुखी बनाया जाए, समय पर परीक्षा हो ताकि समय पर परिणाम आए जिससे की सत्र नियमित रहे और ससंस्थानों में प्लेसमेंट एजेंसियों को सशक्त किया जाए ।अनुपम मिश्रा ने कहा कि यदि भविष्य बचाना है तो समस्या का समाधान डटकर करना होगा तभी सुधार संभव है।

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