शनि की उलटी चाल से न सिर्फ व्यक्ति विशेष बल्कि प्रकृति पर भी असर देखने को मिलेगा। जिन राशियों के लिए शनि की उलटी चाल नुकसान पहुंचाने वाली है और जिन्हें शनिदेव की कृपा का इंतजार है, वे सभी चार मई को पड़ने वाली शनि अमावस्या के दिन उनके महाउपाय कर शनिदोष को दूर कर सुख—समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद पा सकते हैं। शनि अमावस्या के दिन किए जाने वाले महाउपाय को जाने…
शनिदेव के प्रकोप को शांत करने के लिए उनसे जुड़े मंत्रों का जाप करें। शनिदेव के ये मंत्र काफी प्रभावी है। शनिदेव को समर्पित इस मंत्र को श्रद्धा के साथ जपने से निश्चित रूप से आपको लाभ होगा।
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
ॐ शं शनैश्चराय नमः
ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः
ॐ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः
शनि से जुड़े दोष दूर करने या फिर उनकी कृपा पाने के लिए शिव की उपासना एक सिद्ध उपाय है। नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस उपाय से शनि द्वारा मिलने वाला नकारात्मक परिणाम समाप्त हो जाता है। भगवान शिव की तरह उनके अंशावतार बजरंग बली की साधना से भी शनि से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
कुंडली में शनि से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए शनि अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान जी के मंदिर में जाकर अपनी क्षमता के अनुसार कुछ मीठा प्रसाद चढ़ाएं। शनि अमावस्या के दिन जल में गुड़ या शक्कर मिलाकर पीपल को जल देने और तेल का दीपक जलाने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इस उपाय को शनि अमावस्या के बाद भी करना जारी रखें। शनि अमावस्या के दिन शनिदेव को नीले रंग का अपराजिता फूल चढ़ाएं और काले रंग की बाती और तिल के तेल से दीप जलाएं। साथ ही महाराज दशरथ का लिखा शनि स्तोत्र पढ़ें।