नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2018 में दिल्ली सरकार के तत्काली मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के मामले में एक गवाह के बयान की प्रति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 11 अन्य विधायकों को उपलब्ध कराने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुलिस की अपील बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए कहा कि नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांत के अनुसार आरोपी के पास गवाहों के बयान की प्रति होनी चाहिए। गौरतलब है कि यह आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट से जुड़ा है।
केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को अक्टूबर, 2018 में जमानत दी गयी थी। उच्च न्यायालय ने इससे पहले दो अन्य विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गयी थी।
भाषा गो नईदिल्ली, एक जुलाई उच्चतम न्यायालय ने 2018 में दिल्ली सरकार के तत्काली मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के मामले में एक गवाह के बयान की प्रति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 11 अन्य विधायकों को उपलब्ध कराने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुलिस की अपील बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए कहा कि नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांत के अनुसार आरोपी के पास गवाहों के बयान की प्रति होनी चाहिए। गौरतलब है कि यह आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट से जुड़ा है।
केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को अक्टूबर, 2018 में जमानत दी गयी थी। उच्च न्यायालय ने इससे पहले दो अन्य विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गयी थी।