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Sawan Shivratri : सावन की शिवरात्रि पर करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप, पाएंगे महादेव का आशीर्वाद

सावन की शिवरात्रि का पावन पर्व मंगलवार, 30 जुलाई 2019 को मनाया जाएगा। शिव शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’ और ‘रा’ दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है, तात्पर्य यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है। ‘शिवस्य प्रिया रात्रियस्मिन व्रते अंगत्वेन विहिता तदव्रतं शिवरात्र्याख्याम्।’ इस प्रकार शिवरात्रि का अर्थ होता है, वह रात्रि जो आनंद प्रदायिनी है और जिसका शिव के साथ विशेष संबंध है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ ब्रह्म में प्राण लीन करना है। शिवलिंग पर मात्र बिल्वपत्र चढ़ाने से ही शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से संतप्त व्यक्ति के लिए त्रिदल युक्त बिल्वपत्र से बढ़कर कुछ भी नहीं है। शिव भगवान का ध्यान प्रायः ह्रदय में होता है, इसलिए यदि ह्रदय शुद्ध नहीं है और काम, क्रोध, लोभ आदि विकारों से दूषित है तो वहां भगवान कैसे आएंगे?
कैसे करें शिवजी का पूजन
शिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिव का प्रिय दिन सोमवार है, अतः सभी शिवालयों में शिव की विशेष पूजा सोमवार को की जाती है। शिवजी का अभिषेक गंगा जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और गन्ने के रस आदि से किया जाता है। अभिषेक के बाद शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र, शमी पत्र, दूब, कुशा, नीलकमल, ऑक, मदार और भांग के पत्ते के आदि से पूजा की जाती है।
शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं शमी-पत्र
बेलपत्र पर सफ़ेद चन्दन से ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘राम’ नाम लिख कर चढ़ाने से महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमी-पत्र का महत्व होता है, अतः शिव पूजा में शमी का पत्ता अवश्य चढ़ाएं।शिव को अत्यंत प्रिय है यह रात्रि
आज के दिन शिव पूजा, उपवास और रात्रि जागरण का प्रावधान है। इस सिद्धिदायक रात्रि में व्रत पूजन और मंत्र जाप के साथ जागरण करने से सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति शिवरात्रि के व्रत पर भगवान शिव की भक्ति, दर्शन, पूजा, उपवास एवं व्रत नहीं रखता, वह सांसारिक माया, मोह एवं आवागमन के बंधन से हजारों वर्षों तक उलझा रहता है। मान्यता यह भी है कि जो शिवरात्रि पर जागरण करता है, उपवास रखता है और कहीं भी किसी भी शिवजी के मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग के दर्शन करता है, वह पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति पा जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि के व्रत फल कभी किसी हालत में भी निरर्थक नहीं जाता है।
शिवरात्रि व्रत धर्म का उत्तम साधन
शिवरात्रि का व्रत सबसे अधिक पुण्यदायी है। यह व्रत भोग और मोक्ष का फलदाता है। मनुष्यों के लिए इस जैसा कोई दूसरा हितकारक व्रत नहीं है। यह व्रत सबके लिए धर्म का उत्तम साधन है। निष्काम अथवा सकाम भाव रखने वाले सभी मनुष्य, वर्णों, आश्रमों, स्त्रियों, पुरुषों, बालक-बालिकाओं तथा देवता आदि सभी देहधारियों के लिए शिवरात्रि का यह श्रेष्ठ व्रत हितकारक है। इसलिए शिवरात्रि के दिन प्रातः उठकर स्नानादि कर शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन कर नमन करें। रात्रि जागरण शिवरात्रि व्रत में विशेष फलदायी है। गीता में इसे स्पष्ट कहा गया है कि —
या निशा सर्वभूतानां तस्या जागर्ति संयमी।
यस्यां जागृति भूतानि सा निशा पश्चतो सुनेः॥
अर्थात् विषयासक्त सांसारिक लोगों की जो रात्रि है, उसमें संयमी लोग ही जागृत अवस्था में रहते हैं और जहां शिवपूजा का अर्थ पुष्प, चंदन एवं बिल्वपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित कर भगवान शिव का जप व ध्यान करना और चित्त वृत्ति का निरोध कर जीवात्मा का परमात्मा शिव के साथ एकाकार होना ही वास्तविक पूजा है। संपूर्ण कष्टों और पुनर्जन्म से मुक्ति चाहने वाले मनुष्य को गंगा जल और पंचामृत चढ़ाते हुए ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नों रुद्रः प्रचोदयात।’ मंत्र को पढ़ते हुए सभी सामग्री जो भी यथासंभव हो, उसे लेकर समर्पण भाव से शिव को अर्पित करें। श्रद्धा भाव और विश्वास के साथ जो भी पूजन आप करेंगे, उससे प्रसन्न होकर महादेव आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
चार प्रहर में होती है अलग-अलग पूजा
शिवरात्रि में चार प्रहरों में चार बार अलग-अलग विधि से पूजा का प्रावधान है। शिवरात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दुग्ध द्वारा स्नान कराएं, दूसरे प्रहर में उनकी अघोर मूर्ति को दही से स्नान करवाएं और तीसरे प्रहर में घी से स्नान कराएं व चौथे प्रहर में उनकी सद्योजात मूर्ति को मधु द्वारा स्नान करवाएं। इससे भगवान आशुतोष अतिप्रसन्न होते हैं।
शिवरात्रि के दिन करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
महाकाल की आराधना और उनके मंत्र जाप से मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति में भी जान डाल देता है। खासकर तब जब व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार होने वाला हो। इस हेतु एक विशेष जाप से भगवान महाकाल का लक्षार्चन अभिषेक किया जाता है- ‘ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः, ॐ त्र्यम्बकं यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्। उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ’ इसी तरह सर्वव्याधि निवारण हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है।
अंत में श्री महाकालेश्वर से प्रार्थना करें कि वे शिवरात्रि के दिन वे प्रसन्न होकर सभी जीव का कल्याण करें – ‘कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम, विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥’ अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, एवं आपकी जय हो, जय हो।

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