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Ramadan 2019 Time table : जानें आखिरी जुम्मा , ईद , सहरी और इफ्तार का टाइम और रमजान के तीन अशरे

मुस्लिम धर्म में पाक माना जानें वाला रमज़ान का महिना का महिना 6 मई की रात चांद दिखने के बाद रमज़ान की शुरूआत हो चुकी है।अगर आप यह नहीं जानते कि पहला रोजा कब रखा जाएगा क्या है शहरी और इफ्तकार का समय , कब है आखरी जुम्मा (शुक्रवार) और क्या होते हैं रमज़ान के तीन अशरे । तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे।मुस्लिम धर्म में रमज़ान के पाक महिने में 30 दिनों तक रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है।

30 दिन के रोजे का खत्म होने के बाद अगले दिन ईद मनायी जाती है।इस महीने कुरआन शरीफ नाजिल हुआ था। इसलिए भी यह पूरा महीना खुदा की इबादत का है। मुस्लमान जुम्मे की नमाज को काफी अहमियत देते हैं और रमज़ान मे पड़ने वाले जुम्मे को तो और भी खास माना जाता है। रोज़ा जीवन में बुनियादी चींजो को छोड़कर आत्मसंयम और सहनशीलता का पाठ पढ़ाता है। इस समय कुछ मुस्लमान पांच वक्त की नमाज़ भी अदा करते हैं। जिन्हें पांच वक्त का नमाजी भी कहा जाता है।

पहले रोजे की तारीख
7 मई 2019 मंगलवार
आखिरी जुम्मा (शुक्रवार) 
31 मई 2019
ईद की तारीख (Eid Ki Date) 
4 या 5 मई 2019

सहरी और इफ्तकार 
सहरी का अर्थ है सुबह । इसे खाकर ही रोजे की नीयत करके ही इसकी शुरूआत की जाती है। इस बार भी सहरी के साथ ही रोजे की शुरूआत होगी। सहरी की बात करें तो इसका समय हर जगह अलग- अलग होता है । इस बार कई जगह इसका समय सुबह 3 बजकर 57 मिनट से 4 बजकर 07 मिनट तक है। इफ्तकार का समय शाम 7 बजे के बाद ही है। यानी इस बार भी खुदा के बंदे खुदा की इबादत के लिए अपने सब्र ,शिद्दत और भूख -प्यास का इम्तिहान देंगे।
रमज़ान के तीन अशरे
रमजान का पहला अशरा
पहला अशरा यानी पहले दस दिन, रामजान के महीने के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं। इस महीने में रोजा रखने और नमाज पढ़ने वालों पर खुदा की रहमत बरसती है। इन दिनों में मुसलमानों को गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए और लोगों से प्यार के साथ पेश आना चाहिए।

रमजान का दूसरा अशरा 
दूसरा अशरा यानी रमजान के 11वें रोजे से 20वें रोजे तक का सफर माफी का होता है। रोजे रखकर मोमिन (मुसलमान) इस अशरे खुदा की इबादत कर के अपने गुनाहों से माफी पा सकते हैं। बताया जता है कि सच्चे दिल से जो भी मुसलमान खुदा की इबात करता है और रोजा रखता तो खुदा उसके गुनाहों माफ कर देता है।

रमजान का तीसरा अशरा 
यह अशरा रमजान का तीसरा और आखिरी अशरा है जिसे काफी खास माना जाता है, यह अशरा 21वें रोजे से चांद के हिसाब से 29वें या 30वें रोजे तक चलता है। तीसरे अशरे का उद्देश्य जहन्नम (दोजख) की आग से खुद को सुरक्षित रखना है। रमज़ान के तीसरे अशरे में मुसलमान रोजे रखकर और खुदा की इबादत करके जहन्नम से बचने के दुआ करते हैं।

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