भारत विविधताओं भरा देश है। ऐसा इस लिए क्योंकि जहां एक ओर आज उत्तर भारत में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में पोंगल मनाया जा रहा है। तमिलनाडु के लोगों के लिए फसलों का त्योहार होता है पोंगल। पोंगल को त्योहार बारिश, सूर्य और मवेशियों के प्रति आभार जताने का त्योहार है। लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई दे रहे हैं। यहां पर लोग चकराई पोंगल का आदान-प्रदान करते हैं। पोंगल के ही दिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जलीकट्टू का भी आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं कि यह त्योहार कैसे मनाया जाता है। पोंगल के मौके पर लोग सुबह नहा धोकर नए कपड़े पहन कर मंदिरों में जाते हैं। इस त्योहार में पारंपरिक पकवान चावल, गुड़ और चने की दाल है। जिसमें घी में तले हुए काजू, बादाम और इलायची मिलाई जाती है।
चकराई पोंगल की सामग्री दूध में उबाल कर लोग ‘पोंगलो पोंगल, पोंगलो पोंगल’ बोलते हैं। भगवान सूर्य को आभार प्रकट करने कि लिए उन्हें पोंगल का पकवान भोग में दिया जाता है। बाद में उसी पकवान को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। पोंगल दक्षिण भारत का एक विशेष त्योहार है। इस त्योहार को चार दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल की शुरुआत में पहले दिन लोग पुराने कपड़ों, दरी आदि चीजों को जलाते हैं। और घरों का रंग रोगन करते हैं। यह प्रथा शनिवार को मनाई गई। महिलाएं पक्षियों को रंगे हुए चावल खिलाती हैं। इसके बाद महिलाएं अपने भाइयों के कल्याण की प्रार्थना करती हैं। चौथे और अंतिम दिन कन्नम पोंगल मनाया जाता है। लोग अपने परिवार और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे मुलाकात करते हैं और घूमने फिरने जाते हैं। पोंगल के मौके पर ही तमिलनाडु के कुछ इलाकों में जलीकट्टू का आयोजन किया जाता है।