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Pitru Paksha 2019: पितृ पक्ष पर ब्राह्मणों को भोजन कराने का है विशेष महत्व

Pitru Paksha 2019: पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने के विशेष महत्व दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है, क्यों ब्राह्मण को अति विशेष माना जाता है। अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितरों को ऊर्जा प्राप्त होती है। जिससे वह प्रकाश की और बढ़ते जाते हैं। लेकिन जो व्यक्ति पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध नहीं करता उसे जीवन में अनेकों प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो आइए जानते हैं पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोज का महत्व…

पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोज का महत्व
भारत में प्राचीन काल से ही ब्राह्मण भोज को महत्व दिया जाता है। विशेषकर श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराने को अति विशेष माना जाता है। ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म के विचारों में लीन है, जो ब्रह्म के विचारों को फैलाता है, जो ब्रह्म के प्रति लोगों की निष्ठा दृढ़ करता रहे। उसे ब्राह्मण कहा जाता है। इसलिए ब्राह्मण भोज को विशेष महत्व दिया जाता है और इसी भोजन को ब्रह्म भोजन भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार परमात्मा का अगर कोई प्रतीक इस ब्राह्मांड में हो तो वह है ब्राह्मण। इसलिए उनके भोजन का विशेष रूप से आग्रह रखा गया है। इसके अलावा उन्हें दान और दक्षिणा देने को भी विशेष माना जाता है।

पितर पक्ष में किसी ब्राह्मण को भोजन कराने से हमारे पितरों को वह भोजन प्राप्त होता है। ब्राह्मण को भोजन कराते समय मनुष्य की श्रद्धा और भाव हमेशा दृढ़ होनी चाहिए। पुराणों की मानें तो पितृ पक्ष में स्वंय पितर ब्राह्मण वेश धारण करके हमारे पास भोजन के लिए आते हैं। इसलिए श्राद्ध कर्म कराने वाले हर व्यक्ति को ब्राह्मण भोज अवश्य कराना चाहिए। ऐसा न करने से पितृ नाराज हो जाते हैं और ब्राह्मण भोज न कराने वाले व्यक्ति को श्राप देकर चले जाते हैं और अगर आप किसी ब्राह्मण को भोजन कराते हैं ।

वह आपके भोजन से तृप्त होकर आर्शीवाद देता है तो वह आर्शीवाग स्वंय भगवान और आपके पितृ आपको देते हैं। अगर आपको किसी पितृ पक्ष में किसी ब्राह्मण को आर्शीवाद प्राप्त हो जाए तो आपको भगवान और पित्तरों का भी आर्शीवाद मिलता है। जिससे आपके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं और आपको जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए आपको पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य ही कराना चाहिए। यदि आप अधिक ब्राह्मणों को भोजन नहीं करा सकते तो केवल एक ब्राह्मण को ही भोजन कराएं और यदि यह भी नहीं कर सकते तो जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसके भांजे को अवश्य भोजन कराएं क्योंकि शास्त्रों में एक भांजे को 100 ब्राह्मणों के बराबर माना गया है।

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