अनुपूरक न्यूज एजेन्सी, लखनऊः देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश में तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक हालात पर बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों को नये साल में नये जोश व उमंग के साथ नये अनुकूल हो रहे माहौल में जनाधार को तेजी से बढ़ाकर पार्टी व मूवमेन्ट को चुनाव जीतने के लिए जी-जान से लग जाने का आ्हवान किया। हर स्तर पर मिशनरी कैडर होने के बावजूद सत्ता संघर्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
भाजपा द्वारा जातिवादी द्वेष तथा यूपी में सोची-समझी रणनीति के तहत् मेयर आदि के लिए बहुप्रतीक्षित स्थानीय निकाय चुनाव समय से नहीं कराने पर उठे राजनीतिक उबाल का फीडबैक लेने तथा नववर्ष के प्रारंभ से ही आगामी लोकसभा आमचुनाव की तैयारी आदि को लेकर पार्टी के आगे की रणनीति तथा जनाधार को गाँव-गंाँव में बढ़ाने हेतु ज़रूरी दिशा-निर्देश देने के लिए बुलाई गई।
मायावती ने कहा कि ’’अच्छे दिन’’ लाने के सम्बंध में सरकार की कथनी व करनी में अन्तर व मिथ्या प्रचार आदि से लोगों निराशा है। व्यापारी वर्ग जीएसटी के जंजाल से काफी तंग है। व्यापारी इन्सपेक्टर राज आदि से परेशान होकर आन्दोलन करने को मजबूर हैं। देश के करोड़ों शिक्षित वर्ग रोजगार पाकर अपने थोड़े अच्छे दिन के लिए तरस रहे हैं। सरकारी वायदे व घोषणायें अब उन्हें चुभने लगी हैं। ऐसे में खासकर बी.एस.पी. को उन्हें नये उम्मीद के किरण बनकर फिर से उभरना है, संघर्ष लगातार जारी रखना है।
इसी संदर्भ में उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव के उल्लेख करते हुये मायावती ने कहा कि भाजपा अगर धर्मान्तरण, मदरसा सर्वे आदि के ’संघ तुष्टीकरण’ एजेण्डा को लागू करने में ही समय व शक्ति को बर्बाद करने के बजाय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण सही से सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पर अपना ध्यान केन्द्रित करती तो आज ऐसी दुःखद स्थिति नहीं पैदा होती। सरकार की गलत नीतियों व कार्यशैली से त्रस्त जनता का यह सोचना गलत नहीं होगा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की तरह ही चुनाव को टालते रहना चाहती है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही घोर आरक्षण विरोधी पार्टियाँ हैं। यही कारण है कि इन दोनों पार्टियों ने आपस में मिलकर पहले एससी व एसटी वर्ग के उत्थान के लिए उनके आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया और अब वही बुरा रवैया ओबीसी वर्ग के आरक्षण के साथ भी हर जगह किया जा रहा है। इनके इसी जातिवादी द्वेषपूर्ण रवैये आदि के कारण ही सरकारी विभागों में इनके आरक्षण के हजारों पद वर्षों तक खाली पड़े हुयेे हैं। इस मामले में सपा की भी सोच, नीति व नीयत ठीक नहीं है।
पहले कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण से सम्बंधित काका कालेलकर व मण्डल आयोेग की सिफारिश को ठण्डे बसते में डाले रखा और फिर यही निगेटिव रवैया बीजेपी का भी रहा जब बी.एस.पी. द्वारा सरकार को बाहर से समर्थन देने की शर्तों को मानते हुए वी.पी. सिंह की सरकार ने मण्डल रिपोर्ट को स्वीकार करके ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था देश में लागू की तब भाजपा के लोगों ने इसका देश भर में जबरदस्त विरोध किया।
बी.एस.पी. ने ओबीसी वर्ग के साथ-साथ सर्वसमाज के लोगों को पूरा-पूरा आदर-सम्मान किया तथा विशेष भर्ती अभियान चलाकर सभी रिक्त सरकारी नौकरी के पदों को भरा गया। हम जो कहते हैं वह करके भी दिखाते हैं।
इसके अलावा, दो बीजेपी-शासित राज्यों, कर्नाटक व महाराष्ट्र, के बीच सीमा विवाद को लेकर लगातार तकरार, तनातनी व पुलिस कार्रवाई आदि के साथ ही दोनों राज्यों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा धर्मान्तरण, लव जेहाद, हेट जेहाद, मदरसा सर्वे आदि अनेकों प्रकार के विवादों को लेकर साम्प्रदायिक विवाद पार्टी बनने के बाद अब सीमा विवाद वाली पार्टी भी बन गई है, जबकि इस पार्टी को देश में व्याप्त भारी ग़रीबी, बेरोज़गारी व महंगाई आदि जैसी गंभीर आन्तरिक समस्याओं के साथ-साथ जबरदस्त चीनी सीमा विवाद पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करने की ज़िम्मेदारी निभाकर देश को आगे बढ़ाना चाहिये।
वैसे जनहित व जनकल्याण को लेकर यूपी सरकार के भी खेल विचित्र व निराले हैं। इनके मंत्रीगण विदेश से पूंजी निवेश लाने के नाम पर सरकारी धन विदेश ’’रोड शो’’ भ्रमण पर खर्च करने को ही ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं। चुनावी बाण्ड व धन्नासेठों के धनबल पर देश के चुनावों में ’रोड शो’ आदि करके वोट बटोरने की कला के माहिर लोगों को अब सरकारी धन से विदेश में ’रोड शो’ करने का नया शहखर्चीला चसका लग गया है, यह अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण। विदेशों से कालाधन लाकर उसे गरीबों में बांटने की तरह ही विदेश से निवेश लाने के इस छलावे के खेल को भी जनता अब खूब समझने लगी है।
मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों व ज़िला अध्यक्षों आदि को नववर्ष सन् 2023 की हार्दिक शुभ कामनायें दी।