
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि उत्तर रेलवे वित्त वर्ष 2024-25 में 781.07 करोड़ रुपये मूल्य के स्क्रैप का निपटान करके भारतीय रेलवे के सभी जोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों के बीच स्क्रैप बिक्री में नंबर 1 पर रहा । वित्तीय वर्ष 2024-25 की ई-नीलामी समाप्त होने के साथ, उत्तर रेलवे ने मार्च 2025 तक कुल ₹781.07 करोड़ की बिक्री दर्ज की है।
उत्तर रेलवे ने भारतीय रेलवे के सभी मण्डल रेलों और उत्पादन इकाइयों (PUs) में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस वर्ष उत्तर रेलवे ही एकमात्र रेलवे है, जिसने ₹700 करोड़ की स्क्रैप बिक्री का आंकड़ा पार किया है। इस वित्तीय वर्ष में, उत्तर रेलवे एकमात्र रेलवे बना जिसने विभिन्न सेक्शनों में निष्क्रिय पड़े ERC (Elastic Rail Clip) क्लिप्स को आरडब्ल्यूएफ-बेंगलुरु/आरडब्ल्यूपी-बेला (बिहार) भेजा, जिससे नए पहियों और एक्सल के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में उनका उपयोग किया जा सके।
Details of Revenue generated are as follows :-
P-Way स्क्रैप: 81,570 मीट्रिक टन स्क्रैप ₹304.76 करोड़ में बेचा गया, जिसमें 37,049 मीट्रिक टन फेरस स्क्रैप (₹128.37 करोड़) और 2,016 मीट्रिक टन नॉन-फेरस स्क्रैप (₹53.13 करोड़) शामिल है। पहिया एवं एक्सल स्क्रैप: 12,706 मीट्रिक टन स्क्रैप ₹ 30.63 करोड़ में तथा 1,259 मीट्रिक टन ERC (Elastic Rail Clip) स्क्रैप ₹ 4.18 करोड़ में उत्पादन इकाइयों (Rail Wheel Factory-बेंगलुरु एवं Rail Wheel Plant-बेला, बिहार) को भेजा गया।PRC/PSC कंक्रीट स्लीपर: 77,453 इकाइयां ₹3.27 करोड़ में बेची गईं। परित्यक्त संरचनाएं: 2,127 इकाइयां ₹9.30 करोड़ में ई-नीलामी के माध्यम से बेची गईं।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि यह उपलब्धि उरे के प्रमुख विभागाध्यक्षों (PHODs), मण्डल रेल प्रबंधकों (DRMs) और अन्य अधिकारियों के प्रयासों से संभव हो सकी, जिन्होंने मिशन मोड में स्क्रैप हटाने की दिशा में कार्य किया और “शून्य स्क्रैप” स्थिति प्राप्त करने का लक्ष्य रखा।