लखनऊ : राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों ने उसे बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) की सोशल ऑडिट की अनुमति दी है. आयोग ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा, त्रिपुरा ने भी सीसीआई का सोशल ऑडिट करने की अनुमति दी है. एनसीपीसीआर ने पहले पीठ से कहा था कि बिहार, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा समेत कुछ राज्यों ने सोशल ऑडिट करने की अनुमति नहीं दी है.अनाथालयों में बच्चों के उत्पीड़न से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय की सहायता कर रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट्ट ने पीठ को बताया कि इन राज्यों से यह बताने को कहा गया था कि उन्होंने एनसीपीसीआर को सोशल ऑडिट की अनुमति क्यों नहीं दी थी. बिहार सरकार की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि राज्य ने पहले इस मुद्दे को “स्थगित” कर दिया था क्योंकि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) राज्य में आश्रय गृहों की सोशल ऑडिट कर रहा था.
केंद्र की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ को बताया कि एनसीपीसीआर द्वारा सोशल ऑडिट किये जाने का काम चल रहा है और इस साल अक्तूबर के अंत तक इसके पूरा होने की संभावना है. पीठ ने इसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 अगस्त को निर्धारित कर दी. न्यायालय ने इससे पहले बिहार और उत्तर प्रदेश के आश्रय गृहों में महिलाओं से बलात्कार और यौन उत्पीड़न की हालिया घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और पूछा था कि ये भयानक घटनाएं कब रुकेंगी.