लखनऊ: MNP यानी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा जल्द बंद हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अगले साल मार्च से यह सेवा बंद की जा सकती है। इस सेवा के बंद होने से ग्राहकों को अपना नंबर पोर्ट कराने में या ऑपरेटर बदलने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यूजर्स को आसानी से नंबर पोर्ट कराने और ऑपरेटर बदलने के लिए जनवरी में दूरसंचार मंत्रालय ने MNP शुल्क में 80 फीसद की कमी थी। आपको बता दें कि जनवरी 2018 से पहले एक ऑपरेटर द्वारा जारी मोबाइल नंबर को दूसरे ऑपरेटर में पोर्ट कराने का शुल्क 19 रुपये था।
भारत में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सर्विस देने वाली कंपनियां MNP इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशन्स और सिनिवर्स टेक्नॉलोजीस ने डिपार्मेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन यानी DoT को बताया, MNP शुल्क कम करने की वजह से इन कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है और वे अपनी सर्विस बंद कर सकते हैं। इसके अलावा मार्च 2019 में इन कंपनियों (इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशन्स और सिनिवर्स टेक्नॉलोजीस) के लाइसेंस भी समाप्त हो रहे हैं।
MNP सेवा के बंद हो जाने से सबसे बड़ा नुकसान ग्राहकों को हो सकता है। दूरसंचार कंपनियों की सेवा जैसे कि खराब कॉल क्वालिटी, पोस्टपेड यूजर्स के लिए बिलिंग से संबंधित परेशानियों या फिर टैरिफ प्लान की वजह से यूजर्स अपना नंबर किसी अन्य ऑपरेटर में पोर्ट कराते हैं। आपको बता दें कि दूरसंचार मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक हाल के दिनों में MNP कराने वाले यूजर्स की संख्या में 3 गुना इजाफा हुआ है। इसके पीछे रिलायंस कम्यूनिकेशन के बंद होने और रिलायंस जियो के बाजार में आने की वजह से भी हुआ है। इसके अलावा टाटा टेलिसर्विस, एयरसेल और टेलिनॉर की सेवाएं बंद होने की वजह से भी यह इजाफा देखने को मिला है।
MNP सेवा शुल्क में आई कमी के खिलाफ कई टेलिकॉम कंपनियों ने कोर्ट की तरफ भी रुख किया है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने जनवरी से इस शुल्क में कमी कर दी थी। कोर्ट में इसकी सुनवाई आगामी 4 जुलाई को होनी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पोर्टिंग की सेवा प्रदान करने वाली दोनों ही कंपनियों (इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशन्स और सिनिवर्स टेक्नॉलोजीस) ने दक्षिण और पूर्वी भारत में अपने लाइसेंस भी सरेंडर कर दिये हैं।
इन दोनों ही कंपनियों के पास मार्च महीने में 370 मिलियन नंबर पोर्टेबिलिटी की रिक्वेस्ट आ चुकी हैं। जबकि मई में ही अकेले कंपनियों को 2 करोड़ पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट मिली है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सरकार चाहती है कि जल्दी इन कंपनियों की परेशानी पर सुनवाई हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार इस काम के लिए नए टेंडर जारी कर सकती है।