मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ : छठे चरण के 14 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुल औसत 54.02 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिसमें 38-सुल्तानपुर में 55.50, 39-प्रतापगढ़ में 51.60, 51-फूलपुर में 48.94, 52-इलाहाबाद में 51.75, 55-अम्बेडकरनगर में 61.54, 58-श्रावस्ती में 52.76, 60-डुमरियागंज में 51.94, 61-बस्ती में 56.67, 62-सन्तकबीरनगर में 52.63, 68-लालगंज(अ0जा0)में 54.14, 69-आजमगढ़ में 56.07, 73-जौनपुर में 55.52, 74-मछलीशहर (अ0जा0) में 54.43, 78-भदोही मे 53.07 प्रतिशत मतदान हुआ तथा विधानसभा उप निर्वाचन क्षेत्र 292-गैंसड़ी में 51.10 प्रतिशत मतदान एवं 40-फर्रूखाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत 01 मतदान स्थल 343-प्राथमिक विद्यालय खिरिया पमारान पर पुर्नमतदान 73.99 प्रतिशत हुआ।
सपा-बसपा का गठबंधन टूटने के बाद भी भाजपा के कुशासन से आजिज और प्रत्याशियों को रिपीट होने से नाराज जनता ने अपना निजी गठबंधन कर लिया। जिसके चलते बस्ती, डुमरियागंज, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, आजमगढ़, इलाहाबाद की सीट भाजपा के हाथ से फिसलती दिख रही है। यदि मतदाताओं का जज्बा इसी तरह रहा तो सातवें चरण में भाजपा मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर, घोषी और बलिया भी हार जायेगी। ऐसा भी नहीं है कि इस परिवर्तन से भाजपा प्रत्याशी अवगत नहीं हैं।पिछले पांच-दस वर्ष में उन्हीं के तुगलकी व्यवहार ने उन्हें इस दशा तक पहुंचाया है। भाजपा कार्यकर्ता इस बार घरों से वोट निकालने की कौन खुद घरों से बहुत मुश्किल से निकले हैं। अमितशाह की चाणक्यगिरी की भी यह बड़ी परीक्षा होगी।क्यों टिकट रिपीट करने में उनका और उनके गुर्गों का निर्णय रहा।यह आम चर्चा बन चुका है कि चाणक्य और मिनी चाणक्य ने लक्ष्मी उपासना में मायावती को भी पीछे छोड़ दिया। चाणक्य की कोर टीम के चपरासियों ने मुखर होकर यह प्रचारित किया कि लोकसभा चुनाव बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटा दिया जायेगा। जिसकी कीमत टीम गुजरात चुका रही है।
शनिवार को सम्पन्न हुये मतदान के बाद लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ गया है। आखिर दो चरणों में पूर्वांचल की 27 सीटों पर वोटिंग होनी थी। इनमें 14 सीटो के लिए आज वोटिंग हुई। बाकी बची सीटों पर एक जून के मतदान होगा।। अंतिम दोनों चरण बीजेपी के लिए बेहद अहम हैं। क्योंकि पिछली बार 2019 पार्टी का यहां सबसे खराब प्रदर्शन रहा था। बीजेपी मिशन 80 का दावा कर रही है लेकिन छठे चरण में छह सीटें ऐसी हैं जिन पर पार्टी की सांसें अटकी हुई है। इन सीटों पर भाजपा को बहुत कम अंतर से जीत मिल पाई थी या पराजय मिली थी। ये सीटें हैं मछली शहर, सुल्तानपुर, बस्ती, आजमगढ़, लालगंज, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और अम्बेडकरनगर। शनिवार को मतदान के जो रुझान दिखे उसके अनुसार अगर थोड़ा भी वोट स्विंग होता है तो विरोधी पक्ष को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है। 2019 में सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे, जो सबसे मजबूत गठबंधन माना जाता है। इनमें मछलीशहर ऐसी सीट थी जिस पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली थी, इस सीट पर बीजेपी के बीपी सरोज सिर्फ 181 वोटों से जीते थे। इस बार भी यहां जबरदस्त मुकाबला है। चंदौली सीट भी उन सीटों में शामिल हैं जहां बीजेपी कम अंतर से जीती थी। इस सीट पर बीजेपी महेंद्र नाथ पांडे ने 13,959 वोटों से जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने इस बार भी उन्हीं पर दांव लगाया है जबकि सपा की ओर से संजय चौहान की जगह वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया गया है। वीरेंद्र कांग्रेस व बसपा से विधायक रह चुके हैं। सुल्तानपुर सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार भी मेनका गांधी को उतारा है। इस सीट पर उनका मुकाबला सपा के राम भुआल निषाद और बसपा के उदराज वर्मा से हैं। पिछली बार 2019 में मेनका गांधी यहां 14,526 वोटों के अंतर से जीती थीं। बलिया सीट पर भी बीजेपी के वीरेंद्र सिंह 15,519 वोटों से जीते थे। इस बार भाजपा ने नीरज शेखर को टिकट दिया है। बस्ती में बीजेपी के हरीश द्विवेदी को 30,354 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस बार फिर वो मैदान में हैं। उनका मुक़ाबला सपा के राम प्रसाद चौधरी से है। इस सीट पर कुर्मी और दलित वोटर्स खासी तादाद में हैं, कौशांबी सीट पर बीजेपी को 38,722 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस बार भी बीजेपी ने विनोद सोनकर को टिकट दिया है। जबकि सपा के इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज को उम्मीदवार बनाया है।