ब्रेकिंग:

Elections 2019: ज्यादा मतों से जीतने की इच्छा रखे हुए PM मोदी को वाराणसी में होना पड़ा निराश, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी को इस बार बड़ी उम्मीद थी. 2014 के मुकाबले इस बार वो ज़्यादा मतों से जीतने की इच्छा रखे हुए हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा ऐलान भी किया कि इस बार सात लाख पार यानी रिकॉर्ड मतों से जीत की ख्वाइश मोदी ने बनारस की जनता के सामने रखा था. चुनाव प्रचार के दौरान वो बनारस तो नहीं आए पर टीवी पर इसी तरह की अपील करते हुए ज़रूर दिखाई पड़े. उनकी पार्टी के लोग भी रिकॉर्ड मतदान के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखा. डोर टू डोर मतदान करने के लिए मतदाताओं से अपील की थी यही नहीं खुद अमित शाह यहां डेरा डाल कर पन्ना प्रमुख तक की तैयारी का खुद जायजा लिया था. पहली बार हर 50 वोटर पर एक व्यक्ति नियुक्त किया गया था जिसे अपने-अपने हिस्से के वोटर को निकाल कर बूथ तक ले जाने की जिम्मेदारी थी.

खुद प्रधानमंत्री यहां भले ही प्रचार करने नहीं आये हों लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री और मंत्री से लेकर कैबिनेट के लगभग सभी मंत्री यहां न सिर्फ डेरा डाले रहे बल्कि 10 से 20 लोगों तक की नुक्कड़ सभाएं और बैठक की. चुनाव आयोग ने भी मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिये हर संभव कोशिश की. समाजसेवी संस्थाओं के कार्यक्रमों के अलावा मतदान प्रतिशत बढ़ने के लिए मॉडल पोलिंग बूथ, पिंक बूथ, सेल्फी प्वाइंट, बच्चों के लिये मतदान केंद्र पर खेल कूद की व्यवस्था तक की गई, इसके बावजूद मतदान के प्रति लोगों की उदासीनता दिखाई पड़ी और यहां के मतदाता फर्स्ट क्लास पास नहीं हो पाये. यहां तक कि 2014 के मतदान के प्रतिशत से भी 1.38 फीसदी कम मतदान हुआ. 2014 में 58.35 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि इस बार 56.97 फीसदी मतदान हुआ.

बनारस में 18,04,636 मतदाता हैं जिनमें से 10,28,061 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया यानी मदताओं में उदासीनता या मौसम की बेरुखी की वजह से 7 लाख 76 हज़ार 574 मतदाता घरों से नहीं निकले. विधानसभा वार देखें तो वाराणसी लोकसभा में पांच विधानसभा में चार पर बीजेपी का तो एक पर सहयोगी दल अपना दल का कब्ज़ा है. लेकिन बीजेपी के मिजाज के शहर में शहरी क्षेत्र के विधानसभा में पिछली बार की तुलना में कम मतदान हुआ है. इसमें कैन्ट विधानसभा में सबसे कम 52.42 प्रतिशत मतदान हुआ. दूसरे नंबर पर शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र जहां 54.71 फीसदी वोट हुआ. शहर दक्षिणी में भी 58.16 प्रतिशत वोट पड़ा जबकि ये वो विधानसभा हैं जहां बीजेपी के सर्वाधिक वोट हैं.

इस कम मतदान के पीछे के कारण क्या हैं और क्यों पीएम की काशी ने उन्हें निराश किया. इस पर प्रधानमंत्री मोदी खुद मंथन तो करेंगे ही लेकिन इसकी समीक्षा बीजेपी के भीतर के साथ ही बनारस के हर गली चौराहे पर हो रही है. लोग अलग-अलग तरह से देख रहे हैं. पहली बात ये निकल कर आ रही है कि 2014 में जब प्रधानमंत्री यहां चुनाव लड़ने आये तो बनारस में उनका राजनितिक जीवन शून्य था. साथ ही उन्होंने अपने मजबूत व्यक्तित्व के साथ लोगों को ये भरोसा भी दिलाया कि वो सिर्फ वादा ही नहीं करते बल्कि अपने वादे को सच का लिबास पहनाने की ताक़त भी रखते हैं. जनता ने उन पर टूट कर भरोसा किया. लेकिन 2019 में उनका राजनितिक जीवन बनारस में पांच साल का हो गया इस पांच साल में उन्होंने कई काम किये तकरीबन 40 हज़ार करोड़ की योजना लाये लेकिन क्या ये योजना जमीन पर आई या बहुत सी योजनाएं सिर्फ कागज़ों पर रह गईं.

सड़क बिजली पानी जाम जैसी मूलभूत समस्यों से जूझते बनारस में सिर्फ बाहर का बनारस तो बदला नज़र आया लेकिन भीतर का बनारस आज भी उसी हालात में है. ह्रदय और अमृत योजना सिर्फ कुछ सड़कों और गलियों तक सिमट कर रह गई. इसके अलावा जिस विश्वनाथ कॉरिडोर योजना को जमीन पर लाने के लिये मोदी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया उस योजना से भी कोर बीजेपी के कुछ वोटर नराज़ हुए और चुनाव में उदासीन दिखाई पड़े. मछुआरा समाज भी इन पांच सालों में मोदी की योजना गंगा में क्रूज़ और जेटी को लेकर अपनी रोज़ी रोटी के लिये संघर्ष ही करता नज़र आया.

व्यापारी वर्ग भी नोटबंदी और जीएसटी से बहुत खुश नहीं दिखा जिसका असर मतदान प्रतिशत की उदासीनता में नज़र आता है. इन सब के अलावा ये भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के खिलाफ कोई दमदार प्रत्याशी नहीं खड़ा था लिहाजा उनके खिलाफ के वोट में कोई उत्साह नहीं दिखा. महागठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव को लेकर उन्हीं की पार्टी के एक कद्दावर विधायक ने उनका विरोध कर नोटा का प्रचार शुरू कर दिया. दलितों में भी इस बार निराशा ही दिखी. कांग्रेस में भी शुरू में माहौल बना कि प्रियंका यहां से चुनाव लड़ेंगी लेकिन जब वो नहीं आईं तो वो उत्साह भी ठंढा पड़ गया. इस बार रमजान की वजह से और मनमुताबिक प्रत्याशी न होने की वजह से मुस्लिम मतदाता भी पूरे जोश के साथ मतदान करने नहीं निकला, इसमें मुस्लिम महिलाओं का प्रतिशत और भी कम रहा.

Loading...

Check Also

रतन टाटा : एक बेमिसाल व्यक्तित्व, वास्तविक भारत रत्न

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार रात मुंबई के ब्रीच …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com