प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रयागराज में अगले साल लगने वाले कुंभ मेले को ऐतिहासिक बनाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं हालांकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार संगम नगरी में इस आयोजन को अर्धकुंभ की संज्ञा से नवाजा गया है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में लगने वाला विश्व विख्यात कुम्भ का आयोजन ग्रहों-नक्षत्रों के अनुरूप होता है। ग्रह-नक्षत्रों की गणना के आधार पर 12 साल के अंतराल पर कुम्भ के आयोजन होते हैं। ग्रह नक्षत्रों की गणना के अनुसार प्रयाग में 2019 में होने वाला आयोजन अर्द्धकुम्भ कहलायेगा जिसे सरकार ने शासकीय स्तर पर कुंभ के रूप में मान्यता दी है और उसका विश्वस्तरीय प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। खगोलीय और ज्योतिष के अनुसार भी यह कुम्भ नहीं है। तीर्थराज प्रयाग में अर्धकुम्भ मेला 15 जनवरी से चार मार्च तक आयोजित होगा। इस दौरान तीन शाही स्नान समेत कुल छह मुख्य स्नान पर्व होंगे। प्रयागराज स्थित जवाहर तारामण्डल के निदेशक डा रवि किरण ने बताया कि कुम्भ के आयोजन में नवग्रहों में से सूर्य, चंद्र, गुरु और शनि की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन्हीं ग्रहों की विशेष स्थिति में कुंभ का आयोजन होता है। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर कुंभ का आयोजन तब होता है जब माघ अमावस्या के दिन वृहस्पति वृष राशि में और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यही संयोग वर्ष 2013 में पड़ा था। खगोलीय गणना और ज्योतिष के अनुसार प्रयागराज में अगला कुम्भ 2025 में होगा।
CM योगी: अर्धकुंभ को कुंभ बनाने की हर संभव कोशिश कर रही सरकार
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