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अहीर रेजिमेंट के गठन करने का सकारात्मक निर्णय ले केंद्र सरकार, कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा पत्र

अनुपूरक न्यूज़ एजेंसी, भोपाल। देश में यदुवंशी यादव समाज द्वारा भारतीय सेना में ‘‘अहीर रेजिमेंट“ के गठन की मांग निरंतर की जा रही है। यदुवंशी यादव समाज की इस भावना के अनुरूप समय-समय पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सदन के भीतर और सदन के बाहर अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग और समर्थन किया गया है, परंतु इस विषय पर अब तक सकारात्मक निर्णय नहीं हो सका है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि यदुवंशी यादव समाज द्वारा भारतीय सेना में की जा रही अहीर रेजीमेंट के गठन करने के लिए वे सकारात्मक निर्णय लें, क्योंकि अहीर रेजीमेंट का गठन अनुकरणीय एवं प्रेरणादीय कदम होगा।
नाथ ने अपने पत्र में कहा कि भारत का इतिहास अहीर योद्धाओं की वीरता और साहस से भरा हुआ है। भारतीय सेना में यदुवंशी समाज के जवानों की वीर गाथा सुनाई जाती है, 1962 में भारत-चीन युद्ध में 17 हजार फीट की दुर्गम पहाड़ी पर रेजांग लॉ युद्ध में 3 हजार चीनी सैनिकों से लोहा लेकर उन्हें खदेड़ने वाले 120 सैनिकों की टुकड़ी में शहीद होने वाले 114 सैनिक यदुवंशी समाज से थे। इस युद्ध में शहीद हुए मेजर शैतान सिंह को भारत देश के सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार ‘‘परमवीर चक्र“ और शहीद हुए 8 जवानों को ‘‘वीर चक्र“ से सम्मानित किया गया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी शहीद हुए जवानों में 243 जवान अहीर समाज से थे। इसी प्रकार 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान सेना के विरुद्ध अत्यंत विषम परिस्थितियों में 18 गोलियाँ शरीर पर लेने के बाद भी पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारने वाले ब्रिगेडियर योगेन्द्र यादव को ‘‘परमवीर चक्र’’ से सम्मानित किया गया। यह शहादत और पराक्रम अहीर समाज की देश भक्ति और देश प्रेम का साक्षात और अनुकरणीय प्रमाण है।
नाथ ने पत्र में यह भी लिखा कि भारतीय सेना के साथ अर्द्धसैनिक बल, सशस्त्र पुलिस बल, पुलिस बल एवं अन्य सुरक्षा बलों में युदवंशी समाज के जवान कार्यरत हैं और वे भी निरंतर देश की सेवा कर रहे हैं। यदुवंशी यादव समाज के जवानों के पराक्रम, अदम्य साहस और वीरता के अनेक उदाहरण हैं, जो समाजजनों के देश की रक्षा के लिए जान न्यौछावर करने के जज्बे को स्थापित करते हैं और अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को प्रबल करते हैं, निरंतर भारतीय सेना में पूर्व से ही सिख रेजिमेंट, गोरखा रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट, महार रेजिमेंट, मराठा रेजिमेंट व डोगरा रेजिमेंट आदि गठित एवं कार्यरत हैं। इसी के अनुक्रम में यदुवंशी समाज के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘‘अहीर रेजिमेंट“ का गठन किया जाना एक अनुकरणीय एवं प्रेरणादायी कदम होगा। नवीन रेजिमेंट का गठन यदुवंशी समाजजनों में देशभक्ति के जज्बे को नवीन जोश से भर देगा और उनको सेना में सम्मिलित होने के लिए अभूतपूर्व रूप से प्रेरित करेगा।

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