अनुपूरक न्यूज एजेंसी, पटना। राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने बिहार विधानमंडल में पेश कैग (CAG) की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार करारा प्रहार करते हुए कहा कि पहले नीति आयोग ने अब कैग (CAG) की रिपोर्ट ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का पोल खोलकर रख दिया है। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन? नीतीश सरकार में बैठे लोगों को राज्य की जनता को बताना चाहिए। राजद प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश सरकार में 16 साल से अधिक भाजपा कोटे के क्रमशः चंद्रमोहन राय, नंदकिशोर यादव, अश्विनी चौबे और मंगल पांडे स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। इन भाजपा कोटे के स्वास्थ्य मंत्री ने बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को बर्बाद और चौपट कर दिया।
अरुण यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव जी ने 17 महीना के सेवाकाल में बिहार की ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त किया था। तेजस्वी यादव जी के तत्परता के कारण स्वास्थ्य विभाग में मिशन-60, मिशन परिवर्तन और मिशन बुनियाद के तहत बिहार के सभी जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सफाई, दवाई, जाँच, मरीजों को पौष्टिक आहार एवं चिकित्सकों की अनिवार्य रूप से उपस्थिति सुनिश्चित किया था। जिसके कारण राज्य के सभी अस्पतालों में अभूतपूर्व परिवर्तन दिखने लगा था जिसका लाभ जनता को मिल रहा था।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार जी ने भाजपा के साथ मिलकर जब से पुनः सरकार बनाई है तब से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। अस्पतालों में साफ, सफाई, दवाई और जाँच की कोई व्यवस्था नहीं है, न ही समय पर डॉक्टर ड्यूटी पर आते हैं। जनता भगवान भरोसे है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा गया कि राज्य में डॉक्टरों के 55% पद रिक्त हैं, स्वास्थ्य विभाग में 49% पद खाली, दवा,जाँच की भी भारी कमी है। राज्य की आबादी के अनुरूप 1 लाख 24 हजार 919 ऐलोपैथिक डॉक्टरों की जरूरत है लेकिन राज्य में केवल 58 हजार 144 ऐलोपैथिक डॉक्टर हैं। 47 अनुमंडल में अनुमंडलीय अस्पताल नहीं है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में दवा, नर्सिंग स्टाफ, ऑपरेशन थियेटर से लेकर स्वास्थ्य सेवा के उपकरण सहित कई कमियों को उजागर किया है।
अरुण यादव प्रवक्ता ने कहा कि कैग के रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग को 69790.83 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था, इसमें से स्वास्थ्य विभाग केवल 48047.79 करोड़ रुपया ही खर्च कर पाया यानी कि 31% राशि जो 21743.004 करोड़ रुपए होता है स्वास्थ्य विभाग खर्च नहीं कर पाया। जोकि नीतीश सरकार की विफलताओं को स्पष्ट दर्शाता है।