सूर्योदय भारत समाचार सेवा, जयपुर : 1 फरवरी 2025 को प्रस्तुत बजट में किए गए प्रावधान भारतीय रेल को मजबूती प्रदान करने वाले हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विगत 11 वर्षों में रेलवे के विकास के लिए रणनीति में बदलाव कर अधिकाधिक निवेश पर बल दिया गया है जिससे रेलवे पर संरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, आधुनिकीकरण और यात्री सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। वर्ष 2025-26 में रेलवे को 2,52,000 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान किया गया है।
जम्मू से कश्मीर तक की रेल कनेक्टिविटी और तमिलनाडु में पंबन पर नई तकनीक के पुल के निर्माण ने आम लोगों को भारतीय रेल पर गर्व करने का मौका दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के प्रभावशाली नेतृत्व में भारतीय रेल ने हर तरह की चुनौतियों पर विजय पाते हुए कश्मीर वैली को भारत के मुख्य नेटवर्क से जोड़ने में कामयाबी हासिल की है। पंबन चैनल पर बना पुल भी अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसके माध्यम से रामेश्वरम को एक बार फिर से भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ दिया गया है।
भारतीय रेल के लिए वित्त वर्ष 2025-26 में ₹ 2,52,200 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसी तरह वित्तीय वर्ष के लिए कुल पूंजीगत व्यय (CAPEX) ₹ 2,65,200 करोड़ निर्धारित किया गया है। इससे संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार रेल परियोजनाओं के मामले में काफी गंभीर है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय रेल युवाओं की आकांक्षाओं और उनके सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत ट्रेनों की त्रिवेणी तथा 1300 से अधिक अमृत भारत स्टेशन का नवनिर्माण कर भारतीय रेल एक ऐसा दृष्टांत प्रस्तुत करने वाली है जिस पर हर भारतीय को गर्व होगा और वह कह सकेंगे कि उनके देश की रेल व्यवस्था विश्व की श्रेष्ठ रेलवे व्यवस्थाओं में से एक है। विगत 10 वर्षों में पूरे रेल व्यवस्था का कायाकल्प हुआ है। समग्र पूंजीगत व्यय का फोकस – नेटवर्क विस्तार, सुरक्षा, विद्युतीकरण, और रोलिंग स्टॉक एवं बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण पर रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में पिछले 11 वर्षों में जितनी रेल लाइनों का निर्माण हुआ है, वह स्विटजरलैंड, मलेशिया और बेल्जियम जैसे देशों के कुल रेलवे नेटवर्क से अधिक है।
वर्ष 2024-25 के बजट में उत्तर पश्चिम रेलवे को संरक्षा को सुदृढ़ करने, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, यात्री सुविधाओं में बढोतरी के लिए बजट का प्रावधान किया गया था। उत्तर पश्चिम रेलवे को वर्ष 2024-25 के बजट में 8859 करोड़ रूपए आवंटित किए गए।
उत्तर पश्चिम रेलवे में आधारभूत ढांचे (Infrastructure) को मजबूत बनाने के लिए पूर्ण क्षमता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। वर्तमान में लगभग 22,000 करोड़ रुपए की लागत से 1446 किलोमीटर नई लाइन, दोहरीकरण और गेज परिवर्तन के कार्य प्रगति पर हैं। इनमें तारंगा हिल-आबू रोड़ वाया अंबाजी की बहुचर्चित और चुनौतीपूर्ण लाइन भी शामिल है। तारंगा हिल-आबू रोड़ वाया अंबाजी परियोजना को लगभग 2800 करोड़ रूपए की लागत के साथ स्वीकृत किया गया है और गत वर्ष इस महत्वपूर्ण रेल लाइन के लिए 400 करोड़ रूपए का बजट आवंटित किया गया। इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण रेल परियोजना डेडीकेटेड टेस्ट ट्रैक का निर्माण 967 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। टेस्ट ट्रैक के 35 किलोमीटर का कार्य कर लिया गया है तथा दिसम्बर 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नए क्षेत्रों को रेल के माध्यम से जोड़ने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे पर पुष्कर-मेड़ता, रास-मेड़ता सिटी और रींगस-खाटूश्यामजी नई लाइनों का कार्य किया जा रहा है वहीं ट्रेनों के सुगम संचालन के लिए जयपुर-सवाई माधोपुर, लूनी-समदडी-भीलडी और अजमेर-चंदेरिया के कार्य भी प्रगति पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर लगभग 7700 करोड़ रुपए की लागत से 570 किलोमीटर नई लाइन एवं दोहरीकरण के कार्य स्वीकृति के विभिन्न चरणां में हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे में वर्ष 2024-25 में लगभग 100 किलोमीटर नई लाइन व दोहरीकरण के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है एवं आने वाले 2 वर्षों में 400-500 कि.मी. प्रतिवर्ष के अनुसार कार्य निष्पादित करने की योजना है। इस वित्तीय वर्ष में दिसम्बर माह तक लगभग 6680 करोड़ रूपए का पूंजीगत व्यय ;ब्।च्म्ग्द्ध खर्च हुआ है जो कि पिछले वर्ष की अपेक्षा 20% अधिक है।
रेलवे द्वारा स्टेशनों पर अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के 77 स्टेशनों का लगभग 4500 करोड़ रुपए से अधिक लागत के साथ अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकास किया जा रहा है। इन स्टेशनों पर पुनर्विकास का कार्य तीव्र गति से प्रगति पर है।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों के समयानुसार होने से इसका लाभ यात्रियों को मिल रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान में लोकप्रिय वंदे भारत ट्रेनां का संचालन किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य मार्ग पालनपुर-अजमेर-जयपुर-रेवाड़ी को 130 किमी/घंटा किया गया है। पर्यावरण अनुकूल रेल परिवहन की दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे में अब तक लगभग 5400 किलोमीटर (97% रेलमार्ग का विद्युतीकरण किया जा चुका है और 190 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर किया जा रहा है।
भारतीय रेल में संरक्षा को सर्वोपरि माना जाता है। उत्तर पश्चिम रेलवे में अभी तक स्थापित 128 किलोमीटर में से 64 किलोमीटर रेलमार्ग पर ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली वर्ष 2024-25 में स्थापित की गई है एवं 829 किलोमीटर रेलमार्ग में कार्य स्वीकृत है। संरक्षित रेल संचालन की सुनिश्चितता के लिए 1586 किलोमीटर रेलमार्ग पर स्वदेशी टक्कररोधी प्रणाली कवच की स्थापना के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल डालने का कार्य प्रगति पर है तथा टावर लगाने हेतु कार्य अवार्ड कर दिए गए है। शेष रेलमार्ग पर कवच स्थापना के लिए प्रस्ताव आगामी चरण में है।
भारतीय रेल पर वंदे भारत एक्सप्रेस की अपार लोकप्रियता ने रेलवे को वंदे स्लीपर ट्रेन बनाने के लिए प्रेरित किया। प्रथम वन्दे स्लीपर रेक का निर्माण किया जा चुका है और अभी इसका परीक्षण चल रहा है। परीक्षण की सफलता के बाद यह ट्रेन यात्रियों की सेवा में भारतीय रेल नेटवर्क का हिस्सा बन जाएगी। इसके बाद वित्त वर्ष 2025-27 में कुल 50 वंदे स्लीपर ट्रेनें निर्मित की जाएंगी। भारतीय रेल द्वारा 100 गैर-एसी अमृत भारत ट्रेनें बनाने का भी फैसला लिया गया है जो उन्नत सुविधाओं के साथ निर्मित की जा रही हैं। इससे आम लोगों को ही राहत मिलेगी।
भारतीय रेल जैसे विशाल नेटवर्क के सुरक्षित संचालन और विस्तार के लिए फंड के साथ-साथ दृढ़ इच्छा शक्ति और दूर दृष्टि का होना भी आवश्यक है। भारतीय रेल आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग करने के लिए प्रयत्नषील हैं। यही कारण है कि भारतीय रेल तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने के साथ-साथ दीर्घकालिक परियोजनाओं पर फोकस किए हुए हैं। इस बजट से रेलवे की दीर्घकालिक परियोजनाओं हेतु पर्याप्त राशि मिलेगी जिससे रेलवे की गति को शक्ति प्राप्त होगी।