भोपाल: मध्यप्रदेश के बैतूल लोकसभा (एसटी) क्षेत्र से भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण-पत्र बैतूल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने निरस्त कर दिया है। सरकार के जनजातीय कार्य विभाग की एक उच्चाधिकार छानबीन समिति ने सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने संबंधी अपने पिछले निर्णय को बरकरार रखा है। विभाग ने बैतूल जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी जारी किए हैं। धुर्वे वर्ष 2009 में बैतूल लोकसभा क्षेत्र से पहली तथा 2014 में दूसरी पहली दफा निर्वाचित हुई हैं। जिला कलेक्टर तरुण पीथोड़े ने इस संबंध में विभाग से पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले में आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में गठित उच्चाधिकार छानबीन समिति की जांच के आधार पर आयुक्त दिपाली रस्तोगी द्वारा छह फरवरी को जारी आदेश में कहा गया है कि धुर्वे की जाति निर्विवाद रूप से बिसेन / पवार हैं और यह मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है। इसके साथ ही आयुक्त रस्तोगी ने बैतूल के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को 7 फरवरी को पत्र लिखकर धुर्वे के खिलाफ छानबीन समिति की जांच के आधार पर आदेश पत्र जारी करते हुए धुर्वे को जाति गोंड़ (एसटी) के आधार पर जारी किया गया जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का भी निर्देश दिया है। बता दें कि धुर्वे के खिलाफ एक शिकायत के बाद विभाग ने उच्च स्तरीय छानबीन समिति का गठन किया गया था। समिति ने अप्रैल 2017 को निर्णय दिया था कि धुर्वे का गोंड एसटी जाति के आधार पर जारी किया गया गया प्रमाण पत्र सही नहीं है तथा इसे निरस्त और जब्त किया जाना चाहिए।
समिति ने इस संबंध में 3 मई 2017 को आदेश जारी किया था। इस निर्णय के खिलाफ धुर्वे ने पांच मई 2017 को अपील की थी । इसके बाद विभाग ने छह मई 2017 को अपने अप्रैल 2017 और मई 2017 के आदेश पर कार्रवाई से रोक लगा दी थी तथा धुर्वे को गोंड एसटी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में और कागजात पेश करने का समय दिया था। इसके बाद पांच सदस्यीय जांच समिति का पुन: गठन किया गया। समिति ने पाया कि उनके पिता महादेव की जाति गोंड न होकर बल्कि बिसेन / पवार है जबकि उनकी माता गोंड जाति से हैं। लेकिन चूंकि बच्चे की जाति के लिए पिता की जाति मान्य की जाती है इसलिए समिति की जांच में निष्कर्ष दिया गया कि धुर्वे की जाति निर्विवाद रूप से बिसेन / पवार है, जो कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है।