नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के विधायक दलबीर सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।दरअसल, उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी में कार्यरत स्टॉफ ने जानबूझकर उनकी कार के आगे लगे BJP के झंडे को हटवा दिया था। इसे लेकर दलबीर सिंह ने डीएम और एसपी को भी शिकायत दी है। पुलिस फिलहाल इस पूरे मामले की जांच कर रही है। दलबीर सिंह के ड्राइवर ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा है कि वह जैसे ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने वाले थे उससे ठीक पहले उसे रोक दिया गया और पहले उसकी कार के आगे लगे झंडे को जबरदस्ती उतरवाया गया। बता दें दलबीर सिंह ने यूनिवर्सिटी से एक छात्र को लेने गई थी। इस पूरे मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी में उन वाहनों को प्रवेश नहीं दिया जाता है जिसपर किसी पार्टी का झंड लगा हो।
ऐसे वाहनों को तभी अंदर जाने दिया जाता है जबतक गाड़ी के अंदर कोई गणमान्य व्यक्ति न बैठा हो। किसी भी छात्र या अन्य व्यक्तिविशेष के लिए ऐसी गाड़ियों का प्रवेश यहां वर्जित है, ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह एक शैक्षिणिक संस्था है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पहले भी विवादों में रहा है। इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो को लेकर विवाद हुआ था। रात भर छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में धरने पर बैठे रहे और शुक्रवार को भी क्लास को सस्पेंड कर दिया था। इस पूरे मामले को समझाते हुए एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा था कि ”जिन्ना की तस्वीर का मामला काफी पुराना है। यह फोटो 1938 से लगी हुई है। ये कोई नई चीज नहीं है और इतने साल हो गये, किसी ने इस पर ऑब्जेक्ट नहीं किया। मगर अब एक नई चीज क्यों स्टार्ट हो रही है। यह तो एक अर्काइव है, बहुत से पोर्ट्रेट लगी हुई हैं, वो भी वहां लगी हुई है। यह कोई बहुत बड़ा इश्यू नहीं है।” कुलपति तारिक मंसूर ने कहा था कि ‘हिंदू वाहिनी के लोग आ गये और ये ऑब्जेक्शनेबल नारे लगाए और प्रोवोक किया। यूनिवर्सिटी के गेट तक आ गये। हम इसकी निंदा करते हैं। हमने डीएम से कहा था है कि जिन लोगों ने यूनिवर्सिटी के अंदर घुसने की कोशिश की और जिन्होंने शांति भंग करने की कोशिश की, उन पर कानून के हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए।” साथ ही उन्होंने कहा था कि ”जहां तक छात्रों के चोट की बात है, तो मेरी उनके साथ सहानुभूति है। मैं उन्हें देखने भी गया था। मैं स्टूडेंट्स से, हर आदमी से अपील करता हूं कि वो प्रोवोक न हों और शांति और सौहार्द्र बनाए रखें। जो भी उनके और यूनिवर्सिटी के सेंटिमेंट्स है, वो हम स्टेट और केंद्र सरकार को कन्वे कर रहे हैं।”तस्वीर हटाने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि यह तस्वीर हमने नहीं लगाई है। यह तस्वीर तो 1938 से लगी है। आज तक किसी ने ऑब्जेक्ट नहीं किया। जब सवाल किया गया कि क्या आपको नहीं लगता कि विवाद के बाद अब इसे हटा देना चाहिए, तो इस पर उन्होंने कहा था कि ”स्टूडेंट्स यूनियन, टीचर एसोसिएशन और कई की अपनी एक मैनेजमेंट कमेटी है, जो इस बात को देखती है कि किसकी फोटो लगी है और किसकी लगेगी और नहीं, ये उनका मसला है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का इससे प्रत्यक्ष तौर पर कोई ताल्लुक नहीं है।
अगर वीसी ऑफिस, एडमिनिस्ट्रेटिव, प्रिंसिपल या फिर रजिस्ट्रार ऑफिस में लगी हो तो वहां से वाइस चांसलर हटा सकता है, मगर यूनिवर्सिटी के अंदर ऐसे संगठन हैं, जो सेमी ऑटोनोमस बॉडी हैं, जिनकी अपनी मैनेजमेंट कमेटी है, इसका फैसला उन्हें करना है।” कहीं न कहीं यूनिवर्सिटी से बदनाम करने की साजिश है? इस सवाल पर वीसी तारिक मंसूर ने कहा था कि ”जो चीज 1938 से लगी है, जिस पर किसी ने ऑब्जेक्ट नहीं किया, यहां तक की अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कभी ऑब्जेक्ट नहीं किया, उस पर विवाद अब क्यों? अगर हमने लगाई होती तो हमारी जिम्मेवारी होती। मगर यह तो 1938 से लगी है। हमारे टाइम में लगी होती तो हमारी जिम्मवारी होती।” जब पूछा गया कि थाने से एएमयू कैंपस में घुसने पर क्या आप पुलिस की निष्क्रियता मानते हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि वो लोग (हिंदू वाहिनी के लोग) आए, पहले प्रॉक्टर ऑफिस वालों ने पकड़ा। उसके बाद थाने में भेजा गया। स्थानीय पुलिस को सावधानी बरतनी चाहिए। ताकि ये लोग दोबारा नहीं आएं। आगे से ऐसी परिस्थिति न पैदा हो। हालांकि, उन्होंने किसी तरह की साजिश से इनकार किया। पुलिस इस बात की जांच करे कि यह साजिश थी या नहीं। पुलिस की रिपोर्ट से ही यह बात सामने आएगी। बता दें कि रात भर छात्र युनिवर्सिटी कैंपस में धरने पर बैठे रहे। धरना अब भी जारी है और आज भी क्लासेस नहीं चलेंगी। बताया जा रहा था कि कुछ इंटरनल परीक्षाएं भी रद्द की गई हैं। धरने पर बैठे छात्र हिंदू संगठन के लोगों की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे हैं, जिनके ख़िलाफ़ मुकद्दमा दर्ज हुआ है। साथ ही आज भी शहर मे धारा 144 लागू रहेगी।