
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, चित्रकूट : डॉ भीम राव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए ! इस मौके पर उन्होंने ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉ आंबेडकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि डा भीम राव आंबेडकर ने बाधाओं को अपने पुरुषार्थ का स्रोत मान लिया था !
डॉ. साहब ने समाज के दुर्बल और वंचित वर्गो में आत्म सम्मान की भावना जगायी। उनका प्रयास था समाज का उत्थान अवश्य हो| कुलगुरु प्रो मिश्रा ने कहा कि भेदों को भुलाकर एकात्मता का भाव जाग्रत कर एकात्म, एक रस एवं समरस समाज की निर्माण करना होगा। ऐसा समाज जो राष्ट्र जीवन को समरस, सुसम्पन्न एवं सुसंस्कृत बनाने के लिये संकल्पित हो। उन्होंने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर एक प्रसिद्ध राजनीतिक नेता, दार्शनिक, लेखक, अर्थशास्त्री, न्यायविद्, बहु-भाषाविद्, धर्म दर्शन के विद्वान और एक समाज सुधारक थे।
ग्रामीण प्रबंधन संकाय के अधिष्ठाता प्रो.अमरजीत सिंह ने डा.आम्बेडकर के जीवन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।
समाज कार्य विभाग के प्रमुख डॉ अजय आर चौरे ने अपने छात्र जीवन के संस्मरण के माध्यम से डॉ अंबेडकर जी की पत्नी सविता ताई को याद करते हुए बताया कि सविता ताई ने जिज्ञासाओं के समाधान के क्रम में बताया था कि डॉ अंबेडकर के जीवन का सामाजिक पक्ष वर्तमान में पढ़ा जाना चाहिए एवं शोध का विषय होना चाहिए न कि उनका राजनीतिक जीवन, सारे मतभेद अपने आप समाप्त हो जाएं यदि डॉ अंबेडकर के सामाजिक जीवन का गहराई से अध्ययन किया जाए।
समाज कार्य इकाई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ | अतिथि परिचय ओजस ने दिया| कार्यक्रम के उद्देश्य पर विकास द्विवेदी प्रकाश डाला| आशुतोष ने आभार व्यक्त किया !