नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को बताया कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना (IAF) ने सर्जिकल स्ट्राइक में 250 आतंकियों को मार गिराया. गुजरात के अहमदाबाद में ‘लक्ष्य जीतो’ प्रोग्राम को संबोधित करते हुए उन्होंने पिछले पांच साल में दो बड़ी आतंकी स्ट्राइक का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘पिछले पांच सालों में उरी और पुलवामा में दो बड़ी घटनाएं हुईं. उरी हमले के बाद हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की और हमारे जवानों की शहादत का बदला लिया. पुलवामा हमले के बाद हर कोई सोच रहा था कि इस बार सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो सकती. अब क्या होगा? उस वक्त पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हमले के बाद 13वें दिन एयर स्ट्राइक की और 250 आतंकियों को मार गिराया.’
शाह ने इसके साथ ही सूरत में सशस्त्र बलों के साहस पर ‘शक’ करने और भारतीय वायु सेना के हवाई हमले का सबूत मांगने पर रविवार को विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा और कहा कि उनके ऐसे बयान पाकिस्तान के चेहरे पर ‘मुकुराहट’ लाए. शाह ने कहा कि अगर ये पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले के जरिए हासिल की गई उपलब्धि की प्रशंसा नहीं कर सकतीं तो उन्हें ‘चुप रहना’ चाहिए. प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना करते हुए, शाह ने दावा किया कि मोदी ने अपना नियमित कार्य जारी रखा और इस दौरान वह 14 फरवरी को पुलवामा हमले के गुनाहगारों को सजा देने के बारे में भी योजना तैयार करते रहे. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मियों की मौत हो गई थी.
उन्होंने दावा किया कि मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले का आदेश देकर देश को समझाया कि आतंक को ‘कतई बर्दाश्त’ नहीं करने का मतलब क्या होता है. शाह ने कहा, ‘विपक्षी नेता यह नहीं जानते हैं कि क्या हुआ. ममता दी ने सबूत मांगा है. राहुल बाबा कह रहे हैं कि इसका राजनीतिकरण किया जा रहा है. अखिलेश ने जांच की मांग की है. शर्म आनी चाहिए कि आपके बयान पाकिस्तान के चेहरे पर मुस्कुराहट लाए है.’ भाजपा अध्यक्ष ने दावा किया कि, ‘पाकिस्तान विपक्षी नेताओं की प्रेस वार्ता के बाद मुस्कुराया जिसमें नेताओं ने सशस्त्र बलों के साहस पर सवाल उठाया. हम समझ सकते हैं कि आपमें मोदी जी जैसा साहस नहीं है, लेकिन अगर आप मोदी जी और सशस्त्र बलों द्वारा किये गए कार्य की प्रशंसा नहीं कर सकते तो कम से कम चुप ही रहिये.’