लखनऊ: टाटा स्टील और जर्मनी की कंपनी थाइसेनक्रुप एजी के साथ संयुक्त उद्यम पर सहमति बन गई है। टाटा स्टील ने कहा कि उसने थाइसेनक्रुप के साथ 50 : 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाला इस्पात संयुक्त उद्यम स्थापित करने को लेकर सहमति जता दी है। इसके साथ ही यूरोप में लक्ष्मी निवास मित्तल की आर्सेलर मित्तल के बाद दूसरी बड़ी इस्पात कंपनी बनने का मार्ग खुल गया है। नई इस्पात कंपनी के पास कुल 48,000 कर्मचारी होंगे और वह सालान करीब 2.1 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन करेगी।
कंपनी का कारोबार 15 अरब यूरो रहने का अनुमान है। टाटा स्टील ने बंबई शेयर बाजार को बताया , ‘टाटा स्टील के निदेशक मंडल ने 50 : 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम स्थापित करने की शर्तों को मंजूरी दे दी है, जिससे टाटा स्टील और जर्मनी की थाइसेनक्रुप एजी का यूरोपीय इस्पात कारोबार एक हो जाएगा। साथ ही बाध्यकारी समझौते के प्रस्तावों को भी अपनाया है। टाटा स्टील के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि संयुक्त उद्यम से पूरे यरोप में एक मजूबत इस्पात कंपनी तैयार होगी, जो कि संरचनात्मक रूप से मजबूत और प्रतिस्पर्धी होगी।
उन्होंने कहा कि यह टाटा स्टील के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है और हम संयुक्त उद्यम कंपनी के दीर्घकालिक हितों को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। दोनों कंपनियों के बीच हुए बाध्यकारी समझौते में उनके बीच के मूल्यांकन अंतर को पाटने के लिए उचित क्षतिपूर्ति भी शामिल है, जिसका अर्थ है कि संयुक्त उद्यम के आईपीओ के मामले में थाइसेनक्रुप को जुटाई गई पूंजी में अधिक हिस्सा मिलेगा। इसका आर्थिक अनुपात 55/45 को होगा।
थाइसेनक्रुप के सीईओ हेनरिक हिसिंगर ने कहा , ‘संयुक्त उद्यम के साथ हम एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी यूरोपीय कंपनी का निर्माण करेंगे , जो कि औद्योगिक और रणनीतिक रूप से मजबूत होगी। यह नौकरियों को बचाने में मदद करेगी। इससे पहले दोनों कंपनियों ने सितंबर 2017 में संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। कंपनी ने कहा कि बाध्यकारी समझौतों की शर्तों पर औपचारिक रूप से अमल करने का काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितंबर में टाटा स्टील और थाइसेनक्रुप एजी ने अपने यूरोपीय इस्पात कारोबार को मिलाने और एक नया संयुक्त उद्यम स्थापित करने का एलान किया था।