नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार के पास नई आबकारी नीति 2021 को लागू करने की शक्ति है और यह इसके अधिकार क्षेत्र में है। साथ ही अदालत ने 30 सितंबर से पुरानी नीति के तहत निजी क्षेत्र में भारतीय शराब की बिक्री के लिए एल-7 लाइसेंस वाली खुदरा दुकानों को बंद करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने ऐसे ही एक लाइसेंस धारक रतन सिंह द्वारा इन दुकानों को बंद करने पर रोक लगाने के आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया नए तंत्र से उनके किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है।
यह आवेदन उस याचिका का हिस्सा था जिसमें दिल्ली आबकारी अधिनियम के प्रावधानों के तहत अन्य श्रेणियों के लाइसेंस का विस्तार करने का अनुरोध किया गया है। बेंच ने कहा कि सरकार को मुक्त रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि परिवर्तन अपरिहार्य है और आबकारी नीति कोई अपवाद नहीं है। नीति के मामलों में हमेशा नए प्रयोगों की अनुमति दी जा रही है। प्रथम दृष्टया, हम नीति के परिणाम से पड़ने वाले प्रभाव का पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहते।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, प्रतिवादी के पास दिल्ली आबकरी अधिनियम 2009 और इसके नियमों के तहत नई आबकारी नीति बनाने की सभी शक्तियां हैं और यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। अदालत ने कहा कि व्यापक स्तर पर जनता को दुकानें बंद होने से नुकसान नहीं होगा क्योंकि अन्य श्रेणियों की शराब की दुकानें खुली रहेंगी।
बेंच ने कहा कि विभिन्न मकसद के लिए एल-1 से एल-35 तक विभिन्न प्रकार के लाइसेंस हैं… जनता को व्यापक स्तर पर कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। अन्य लाइसेंस जारी रहेंगे।
अदालत ने कहा कि नई नीति के तहत 849 में से 260 दुकानों के पास एल-7 और एल-10 लाइसेंस (भारतीय और विदेशी शराब की खुदरा बिक्री) हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने अदालत को सूचित किया कि 16 नवंबर से सरकारी दुकानें भी बंद हो जाएंगी और इसलिए यह आवश्यक है कि नई नीति को शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण तरीके से अपनाया जाए। सिंघवी ने कहा कि 16 नवंबर से नई आबकारी नीति के तहत नीलामी प्रक्रिया में सफल होने वाले बोलीदाता अपना काम शुरू कर देंगे।
वरिष्ठ वकील मेहरा ने जोर देकर कहा कि नई नीति के चलते राजस्व 50 फीसदी बढ़कर 9,500 करोड़ रुपये हो गया है और अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये प्राप्ति की भी उम्मीद है।
याचिकाकर्ता के वकील ने इस आधार पर अपने एल-7 लाइसेंस की समाप्ति पर रोक लगाने का अनुरोध किया है कि बंद करने का निर्णय एकतरफा, मनमाना और दिल्ली आबकारी अधिनियम का उल्लंघन है।