नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश को देश के सबसे बड़े तथा उन्नत रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने को लेकर अब प्रदेश के डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर में तेजी आ गई है और ब्रह्मोस एयरोस्पेस को ब्रह्मोस मिसाइल के इस कॉरिडोर में निर्माण के लिए लखनऊ नोएड में 200 एकड़ भूमि उपलब्ध कराया जायेगा।
रक्षा क्षेत्र में कार्यरत देशी और विदेशी कंपनियों ने सूबे के इस पहले डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर में निवेश करने की पहल तो की ही है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ एवं एमडी सुधीर कुमार मिश्र ने प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने के लिए 200 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
इस संबंध में श्री मिश्र मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के दौरान उन्होंने डिफेंस कॉरिडोर में ब्रह्मोस मिसाइल बनाए जाने संबंधी योजना के बारे में बताया। इस मुलाकात में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने के लिए लखनऊ नोड में 200 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने पर सहमति हो गई।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार लखनऊ नोड में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने के लिए आंवटित होने वाली भूमि पर 300 करोड़ निवेश कर जो ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर बनेगा, उसमें करीब पांच सौ इंजीनियर तथा टेक्नीकल लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।
इसके अलावा करीब पांच हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और 10 हजार लोगों को इस प्रोडक्शन सेंटर से काम मिलेगा। ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर बनाने का कार्य जल्दी ही शुरू होगा। इन सेंटर में रिसर्च और डेवलपमेंट का कार्य भी होगा।
100 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइल अगले तीन वर्षों में बनाए जाने की योजना है। ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर के चलते अब यूपी डिफेंस कॉरिडोर में डिफेंस सेक्टर में कार्य करने वाले कई अन्य नामी कंपनियां राज्य में आएंगी।
ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती। ब्र
ह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।