लखनऊ: पेट्रोल और डीजल के दामों में 60 पैसे नहीं बल्कि सिर्फ एक पैसे की कटौती की गई है। इंडियन ऑयल ने अपनी गलती मानते हुए कहा है कि टाइपिंग की गलती से उसकी वेबसाइट पर 60 पैसे दाम घटाने की लिस्ट जारी हो गई थी। दरअसल आज इंडियन ऑयल ने अपनी वेबसाइट में पेट्रोल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 50 पैसे की गिरावट की जानकारी दी थी।
पेट्रोल और डी़जल दोनों के दामों में सिर्फ एक पैसे की कटौती की गई है। एक पैसे की गिरावट के बाद बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल 78 रुपये 42 पैसे प्रति लीटर और डीजल 69 रुपये 30 पैसे प्रति लीटर है। वहीं मुंबई में पेट्रोल 86 रुपये 23 पैसे प्रति लीटर और डीजल 73 रुपये 78 पैसे प्रति लीटर है। बता दें कि डायनैमिक प्राइसिंग सिस्टम दोबारा 14 मई को अमल में लाए जाने के बाद से रोजाना आधार पर पेट्रोल और डीजल के दाम में संशोधन किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में कमी के कारण आज पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी आई है।
राजधानी समेत देश के प्रमुख शहरों में तेजी से बढ़ रहीं ईंधन की कीमतों पर काबू पाने के लिए तरह तरह के सुझाव दिए जा रहे हैं जिसमें एक्साइज ड्यूटी में कटौती करना और फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लाना प्रमुख रुप से शामिल है। गौरतलब है कि राजधानी समेत प्रमुख शहरों में 24 अप्रैल 2018 से 13 मई 2018 तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित रहीं थीं।
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का एक कारण यह है कि तेल-उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती कर दी गई है। इसके अलावा अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ा है और अमेरिका ने ईरान पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इसके चलते भी तेल की आपूर्ति घटी है। भारत ईरान से काफी तेल आयात करता है, इसलिए अमेरिकी प्रतिबंध की काट नहीं मिलने पर भारत के लिए मुश्किल बढ़ेगी। मगर यह इस पर निर्भर करता है कि भारत अमेरिकी प्रतिबंध को कितना तवज्जो देता है। पहले भी ऐसे मौके आए हैं, जब भारत ने अमेरिका और ईरान के आपसी तनाव से खुद को दूर रख ईरान से व्यापार जारी रखा है। पहले भी भारत ईरान से रुपये में भुगतान करके तेल आयात करता रहा है। सरकार को यह देखना होगा कि कैसे वह वैकल्पिक तरीकों से ईरान से आने वाली आपूर्ति को जारी रखे। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते यह भी हो सकता है कि ईरान भारत को कुछ छूट पर ही अपना तेल बेचने को तैयार हो जाए।
गौरतलब है कि तेल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी है। जबकि डॉलर के मुकाबले रुपये लगातार कमजोर हो रहा है। यह इस लिहाज से भी अहम हो जाता है क्योंकि वर्ष 2014 में तेल की कीमतें 35 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। लेकिन दूसरी तरफ तेल की कीमतों में आई गिरावट का बुरा असर सऊदी अरब, यूएई समेत दूसरे तेल उत्पादक देशों पर पड़ा था। तेल की कीमतों में आई गिरावट से वहां की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई थी। यही वजह है कि अब ओपेक समेत रूस तेल के उत्पादन में रणनीतिक तरीके से लगातार गिरावट ला रहे हैं। ये देश तेल की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में 80 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक ले जाना चाहते हैं। इससे बचने के लिए ही भारत अब तेल खरीददार वाले देशों का एक ऐसा गठजोड़ बना रहा है जो अंतरराष्टीय बाजार में अपना प्रभाव डालकर तेल की कीमत कम करने में सहायक साबित हो सकेगा। इसके जरिए भारत ने एक नई रणनीति के तहत पेट्रोलियम उत्पादक देशों पर दबाव डालने की कोशिश करेगा।