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शेखर पंडित बने यूपी आईना के अध्यक्ष, सरकारी विज्ञापन के बंदरबाट पर उठाया सवाल

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश आईना के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण करते ही शेखर पंडित ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन की बंदरबाट को रोकने और विज्ञापन नियमावली लागू करवाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात कही। आईना प्रदेश अध्यक्ष शेखर पंडित ने कहा चुनिन्दा अखबारों को ही विज्ञापन दिया जाना माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय दिनांक 13 मई 2015 की स्पष्ट रूप से अवमानना हो रही है।

नियमानुसार सजावटी विज्ञापन सभी समाचार पत्रों को समानता के आधार पर निर्गत किये जाने चाहिए जिसके लिए आईना संगठन सदैव प्रयासरत है। शेखर पंडित ने आईना संगठन की प्रशंसा करते हुए कहा कि आईना किसी एक व्यक्ति से नहीं, बल्कि संगठनात्मक तरीके से, सिस्टम से, और संसाधनों से चलती है ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन।

समाचार पत्रों में कार्यरत सभी लोगों के लिए एक संगठन नहीं बल्कि एक आईना है जिसमे किसी व्यक्ति विशेष का राज काज नहीं है और मीडिया के हर वर्ग के लिए हर वक़्त उपलब्ध है आईना। समाचार पत्रों की स्तिथि पर शेखर पंडित ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, आज कोरोना संकटकाल के चलते हालात और भी भयावह हो गए है, न्यूज़ कवरेज का बजट कम हो गया है, इससे अनेक समाचार पत्र बंद हो गए हैं, ब्यूरो बंद हो गए हैं।

अनेक वर्षों के अनुभव वाले समाचार पत्र में कार्यरत कर्मचारी एक झटके में सड़क पर आ गए हैं और आज सबसे मुश्किल प्रश्न यही है कि समाचार पत्र का अस्तित्व कैसे सुरक्षित रहे, सरकारी विज्ञापनों पर अधिकांश समाचार पत्र निर्भर रहते हैं और खासतौर से उत्तर प्रदेश में समाचार पत्रों को सरकारी विज्ञापन न देकर कहीं ना कहीं इन समाचार पत्रों के अस्तित्व को समाप्त करने की एक बड़ी साजिश हो रही है।

सरकार के पास बजट का रोना नहीं है, ना ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट पर किसी तरह की रोक लगाई है लेकिन समाचार पत्रों को आवंटित बजट से विज्ञापन न देकर उस बजट को गैर सूचीबद्ध वेबसाइट और चैनलों पर जिस तरह का बंदरबांट हो रहा है वो न सिर्फ कानून की नजर में एक अपराध है बल्कि उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं मीडिया जगत के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं और समाचार पत्रों, पत्रिका के प्रति उनके स्नेह को सभी मीडिया बंधु भली भांति परिचित भी है, फिर भी समाचार पत्रों के अस्तित्व को मिटाने का किसके द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है ये भी जांच का गंभीर विषय है।

उत्तर प्रदेश में न्यूज़ चैनलों को सरकारी दरों से चार गुना ज़्यादा, व्यावसायिक दरें संस्तुति की गई ये न सिर्फ एक गंभीर जांच का विषय है बल्कि सरकारी धन का बड़ा दुरुपयोग है। जनता के टैक्स के रूप में जमा की गई सरकारी धनराशि को इस तरह दुरुपयोग होते देखकर अधिकारी और कर्मचारी आखिर क्यों मुंह बंद करके बैठे हैं और समाचार पत्रों का अस्तित्व समाप्त करने पर आमादा हैं, ऐसे में आईना संगठन खामोश नहीं रह सकता, आईना को आइना दिखाना होगा और आईना संगठन समाचार जगत को बचाने के लिए कटिबद्ध है, प्रतिज्ञाबद्ध है, कार्यरत और प्रयासरत भी है।

आईना के इन्ही प्रयासों को शेखर पंडित के कुशल नेतृत्व में सफल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर संगठित होने की ज़रूरत है और इस मुहीम को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों में समाचार पत्रों को संगठित करने का कार्य शेखर पंडित द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है क्योंकि संगठित होने पर ही आईना की शक्ति है और संगठित संगठन की शक्ति से बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से हो सकेंगे।

लखनऊ विश्विद्यालय से पत्रकारिता की शिक्षा, दीक्षा ग्रहण करने के बाद अनेक समाचार पत्रों में कार्य करने का शेखर पंडित का एक लंबा अनुभव है। अपने 20 वर्षो के पत्रकारिता के सफर में शेखर पंडित द्वारा अनेक उतार चढ़ाव देखे है, समाचार पत्रों की मौजूदा हालातों को देखते हुए आईना संगठन से जुड़कर पूरे उत्तर प्रदेश के समस्त सामचार पत्रों को संगठित करने का उनका स्वपन पूरा होते आईना संगठन में दिखाई दे रहा है क्योंकि हर व्यक्ति के पास ताकत, क्षमता, समय नही हो सकता और आईना को अगर अपना लक्ष्य प्राप्त करना है तो अन्य व्यक्तियों का भी सहयोग प्राप्त करना होगा तभी आईना का मक़सद पूर्ण होगा और आईना को समाचार पत्रों के संगठन के लिए गठित मीडिया कर्मियों के समूह के रूप में माना जायेगा।

 
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