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EWS कोटे से एसोसिएट प्रोफेसर बने शिक्षा मंत्री के भाई, राज्यपाल ने कुलपति से मांगा जवाब

अशाेक यादव, लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. सतीश द्विवेदी के भाई डा. अरुण द्विवेदी के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में हुई नियुक्ति का मामला तूल पकड़ने लगा है। नियुक्ति प्रक्रिया के साथ इनके ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पर सवाल उठने लगे हैं। इंटरनेट मीडिया पर इससे संबंधित पोस्ट भी वायरल हो रहे हैं।

उधर, आरटीआई कार्यकर्ता डा. नूतन ठाकुर की शिकायत पर राज्यपाल आनंदीबेन ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे से जवाब मांगा है। उन्होंने चयन प्रक्रिया में उठाए गए कदम की जानकारी भी मांगी है।

बताया जा रहा है कि डा. अरुण लिखित परीक्षा में दूसरे स्थान पर थे। उन्हें 80 अंक मिले थे जबकि प्रथम स्थान वाले को 81 अंक। कुलपति के नेतृत्व में आयोजित साक्षात्कार में अरुण द्विवेदी के अंक अधिक हो गए।

दरअसल बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई की कपिलवस्तु के सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनना इन दिनों काफी चर्चा में है। हैरानी की बात ये है कि एक मंत्री के भाई को गरीब कोटे से नौकरी मिली है, जिस पर सवाल उठ रहे हैं।

बेसिक शिक्षा मंत्री और इटावा सीट से विधायक सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की नियुक्ति साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई है।

अरुण द्विवेटी की ज्वॉइनिंग शुक्रवार को कराई गई। वहीं यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुरेंद्र दुबे ने कहा कि साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में करीब डेढ़ सौ आवेदन आए थे। जिनमें से मैरिट के आधार पर 10 लोगों को चुना गया है। उन्होंने बताया कि 10 लोगों के इंटरव्यू में अरुण द्विवेदी दूसरे नंबर पर रहे।

उनके पास नियुक्ति प्रक्रिया के सारे साक्ष्य मौजूद हैं। उनका कहना है कि यदि कोई एजेंसी जांच भी करना चाहती है तो वह उसके लिए तैयार है। उनके मुताबिक, किसी मंत्री के भाई होने की वजह से किसी की योग्यता कम नहीं हो जाती। उन्होंने अपने पास किसी भी तरह की सिफारिश आने की बात का भी खंडन किया।

चयन के बाद अरुण द्विवेदी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर शुक्रवार को ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में ज्वाइन कर लिया है। इसके ठीक बाद ही सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें वायरल हो रही है। जिसमें सवाल उठ रहे हैं कि मंत्री सतीश द्विवेदी ने नियुक्ति में अपनी पावर का इस्तेमाल किया है। इतना ही नहीं, मंत्री के भाई होने के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर होने का प्रमाण पत्र भी कई सवाल उठाता है।

वहीं रिटायर्ड आईएएस अमिताभ ठाकुर तथा डॉ नूतन ठाकुर ने डॉ अरुण कुमार उर्फ़ अरुण द्विवेदी द्वारा नियुक्ति हेतु दिए गए EWS सर्टिफिकेट की जांच की मांग की है। राज्यपाल तथा यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल सहित अन्य को भेजी अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि डॉ अरुण कुमार शिक्षा मंत्री के भाई होने के साथ ही स्वयं भी बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान में मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। ऐसे में डॉ अरुण कुमार द्वारा EWS सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना जांच का विषय दिखता है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ सुरेन्द्र दूबे ने भी कहा कि यदि EWS सर्टिफिकेट फर्जी होगा तो वे दंड के भागी होंगे। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी का बयान अभी तक नहीं मिल पाया है।

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