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हाईकोर्ट के नए आदेश के बाद पंचायत चुनाव की तैयारियों पर फिर मंथन

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण की नीति और आरक्षित/अनारक्षित सीटों के पदवार आवंटन को लेकर हाईकोर्ट के नए आदेश से राज्य निर्वाचन आयोग में भी सोमवार को गहमागहमी का माहौल रहा।

हाईकोर्ट के इस नए आदेश के बाद अब नए सिरे से शुरू होने वाली चुनाव की तैयारियों को लेकर सोमवार की शाम राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने अपने दोनों अपर निर्वाचन आयुक्तों वेद प्रकाश वर्मा और जेपी सिंह के साथ गहन विचार विमर्श किया।

हाईकोर्ट ने आगामी 17 अप्रैल तक साल 2015 के आधार वर्ष पर नए सिरे से आरक्षण और आरक्षित/अनारक्षित सीटों के आदेश दिए हैं। जबकि राज्य में 24 अप्रैल से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा शूरू होनी है जो 11 मई तक चलेगी।

अब आयोग में इस बात को लेकर मंथन हो रहा है कि बोर्ड परीक्षा और पंचायत चुनाव एक साथ कैसे हो पाएंगे? आयोगी ने हाईकोर्ट के ही आदेश पर 10 अप्रैल से लेकर 23 अप्रैल के बीच चुनाव सम्पन्न करवाने की तैयारी कर ली थी।

पंचायत चुनाव को संपन्न करवाने के लिए लगाए जाने वाले कार्मिकों में करीब आधे तो शिक्षक ही होते हैं। यही नहीं, इन चुनावों के लिए मतदान केंद्र भी अधिकांशत: स्कूल/कॉलेज ही बनाए जाते हैं। जब इन शिक्षण संस्थानों में बोर्ड परीक्षा चल रही होती तो फिर चुनाव के लिए मतदान केंद्र कहां बनेंगे।

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार के पंचायत चुनाव के लिए कुल 13.65 लाख कार्मिकों का ब्योगा तैयार किया है। इनमें से 6.5 लाख नियमित शिक्षक हैं। इनके अलावा संविदा कार्मिकों में शिक्षकों की खासी तादाद है।

अब आयोग को पंचायतों के सभी 6 पदों के आरक्षण और आवंटन के लिए नए शासनादेश का इंतजार है। उसके बाद ही आयोग में चुनाव की तैयारी नए सिरे से शुरू होगी। चूंकि 12-13 अप्रैल से रमजान का महीना भी शुरू हो रहा है इसीलिए अब प्रदेश में हो रहे त्रिस्तरीय चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग को नए सिरे से सुरक्षा व्यवस्था तय करनी होगी।

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