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अगर आपके पास है कुछ खास ‘हुनर’ तो रोजगार के मिलेंगे अवसर, सरकार ने बताई अपनी योजना

अशाेक यादव, लखनऊ। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि स्थानीय हस्तशिल्प, दस्तकारी और कला उद्योग को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए देश में जिला स्तर पर ‘हुनर हाट’ का आयोजन किया जाएगा।

नकवी ने 26वें हुनर हाट के उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार दस्तकारों, शिल्पकारों और कलाकारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना चाहती है और इसके लिए बड़ा बाजार उपलब्ध करा कर उन्हें उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना चाहती है जिसके लिए बड़ी संख्या में हुनर हाट आयोजित करने की योजना है।

उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर इसका आयोजन शुरू कर दिया गया है और उत्तर प्रदेश के रामपुर तथा कर्नाटक के मैसुरु में इसका आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि हुनर के उस्तादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं और इसके लिए हुनर हाट को ई- प्लेटफार्म से जोड़ा गया है। इसके माध्यम से विदेशों में कलाकारों के उत्पादों को खरीदा जा रहा है और उन्हें इसका बेहतरीन मूल्य भी मिल रहा है। हुनर हाट में कई देशों के राजदूतों ने अपनी गहरी दिलचस्पी दिखायी।

नकवी ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान पांच लाख कलाकारों को रोजगार तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं तथा आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर 75 हुनर हाट के माध्यम से साढ़े सात लाख कलाकारों को रोजगार के अवसरों से जोड़ा जायेगा।

नकवी ने हुनर हाट को मिल रही सफलता की चर्चा करते हुए कहा कि हाल ही में लखनऊ में आयोजित हुनर हाट में 29 लाख लोगों ने वहां जाकर उत्पादों के बारे में पूछताछ की। हुनर हाट के माध्यम से खादी के उत्पादों , बेंत और बांस, कपड़ा उद्योग, सजावटी वस्तुओं, ब्लैक स्टोन पॉटरी, दरी, कारपेट, सिरेमिक पॉटरी, लकड़ी के उत्पादों, आभूषण, मार्बल उत्पादों, चमड़े की वस्तुओं, लाख के उत्पादों आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण हस्तकला उद्योग का करोबार अगले दो-तीन साल में बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। वहीं वर्तमान में ग्रामीण हस्तकला उद्योग का सालाना कारोबार 80 हजार करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि कला, प्रतिभा और क्षमता सिर्फ अट्टालिकाओं में ही नहीं, बल्कि गांव और गलियों में भी होती है। दस्तकारों, शिल्पकारों और कलाकारों का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण उद्योग को जितना प्रोत्साहन मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला। सरकार विकास में विश्वास करती है और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प को जो बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए था, वह नहीं मिल सका है। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की जानी चाहिए ताकि वस्तुओं को उचित कीमत मिल सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण कलाकारों ने कोरोना काल को अवसर में बदला है जो बेहद प्रशंसनीय है।

जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में आज से आयोजित हुनर हाट 01 मार्च तक चलेगा। इसमें देश के 31 राज्यों के 600 से अधिक, दस्तकार, शिल्पकार और कारीगर हिस्सा ले रहे हैं। हिस्सा लेने वाले राज्यों में आन्ध्र प्रदेश, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ, गोवा, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर आदि प्रमुख हैं।

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