अशाेक यादव, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘स्वामित्व’ योजना को ग्राम्य सशक्तीकरण की दिशा में बड़ी क्रांति कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि ‘घरौनी’ मात्र भूमि का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज नहीं, बल्कि यह गांव के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसम्मान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम है।
स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को अपने ग्राम के आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी सम्पतियों (भवन, प्लाट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त हो रहे हैं। यह विवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे ही, जरूरत पड़ने पर बेझिझक इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक से सहजतापूर्वक ऋण भी लिया जा सकेगा। इस ऋण के जरिए ग्रामीण अपना कोई उद्यम भी लगा सकते हैं। इस तरह यह स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ाने का भी जरिया बनेगा।
सीएम योगी शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर स्वामित्व योजनांतर्गत प्रदेश के 11 जनपदों (जनपद जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, बांदा, फतेहपुर, कौशाम्बी, वाराणसी एवं आजमगढ़) के 1001 ग्रामों में 1,57,244 ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) के डिजिटल वितरण कार्यक्रम (वर्चुअल) में लाभार्थियों से संवाद कर रहे थे। इस अवसर पर सीएम ने डिजिटल खसरा का शुभारंभ भी किया।
कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के सात नागरिकों को मुख्यमंत्री के हाथों घरौनी मिली। सभी 11 जिलों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने घरौनी का वितरण किया। घरौनी प्राप्त करने वालों से वर्चुअल संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तैनी जमीनों पर लोगों के मकान तो थे, लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं था, नतीजतन आए दिन लोगों को उत्पीड़न और विवाद झेलना पड़ता था।
अब ऐसा नहीं होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सरकार उनकी पुस्तैनी जमीन का मालिकाना हक दे रही है। ग्रामीण लाभार्थियों ने इस योजना को बहुप्रतीक्षित बताते हुए इसके लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार भी जताया।