डिजीटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ज़ी-5 पर आज फिल्म ‘कागज’ रिलीज हुई है। सतीश कौशिक द्वारा निर्देशित इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी लीड रोल में हैं। इसके अलावा खुद सतीश कौशिक, एम मोनल गज्जर, मीता वशिष्ठ, अमर उपाध्याय, नेहा चौहान, संदीपा धर, ब्रिजेंद्र काला जैसे कलाकारों ने भी फिल्म में अहम भूमिका निभाई है। फिल्म का ट्रेलर कई दिनों पहले ही रिलीज हो गया था। उसके बाद से ही वाले पंकज त्रिपाठी के फैन्स फिल्म के रिलीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
फिल्म की कहानी काफी रोमांचक और अचंभित कर देने वाली है। उस पर पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग सोन पर सुहागा का काम करती है। दरअसल फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के जीवन पर आधारित है, जो असल में तो जिंदा होता है लेकिन कागजी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद पूरी फिल्म इसी कहानी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है।
इस दौरान फिल्म में देश के सरकारी तंत्र की खस्ता हालत दिखाने की कोशिश की जाती है कि कैसे देश का सिस्टम पूरी तरह से किसी भीं इंसान की आसान और नॉर्मल जिंदगी को बर्बाद कर सकता है। कैसे महीनों अदालत और कोर्ट-कचहरी करने के बाद भी आसानी से न्याय नहीं मिलता है। पूरी फिल्म एक ऐसे ही इंसान की कहानी है जो खुद को जिंदा साबित करने के लिए पूरे सरकारी सिस्टम के खिलाफ संघर्ष करता है। इस संघर्ष में वह अपने जैसे और भी तमाम लोगों को भी इस लड़ाई में शामिल करता है।
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह शुरू में तो थोड़ी हल्की लगती है लेकिन बाद में फिल्म सीरियस होती चली जाती है। एक दर्शक के तौर पर आप भी फिल्म में रमते चले जाते हैं। हालांकि कहीं-कहीं पर फिल्म की कहानी थोड़ी स्लो भी होती है लेकिन पंकज त्रिपाठी की बेहतरीन कलाकारी की वजह से यह बात आपको कम ही महसूस होगी।
फिल्म के लीड रोल में भरत लाल का किरदार निभाते हुए पंकज त्रिपाठी उस किरदार में इतना घुस जाते हैं कि आप कुछ भूल जाते हैं कि यह कोई फिल्म चल रही है और कोई अभिनेता एक्टिंग कर रहा है। शायद यही एक कलाकार के तौर पर पंकज त्रिपाठी की खूबी भी है। इसके अलावा भरत लाल की पत्नी रुक्मणि के किरदार में एम मोनल गज्जर और वकील साधुराम के किरदार में सतीश कौशिक ने भी अच्छा काम किया हैं। साथ ही फिल्म में मीता वशिष्ठ, नेहा चौहान, अमर उपाध्याय और ब्रिजेंद्र काला जैसे कालाकार भी अलग-अलग भूमिका में नजर आए हैं।
दरअसल सतीश कौशिक की यह फिल्म मुख्य तौर पर लाल बिहारी मृतक नाम के एक व्यक्ति के जीवन पर आधारित है जिन्होंने 18 साल के लंबे संघर्ष के बाद खुद को जीवित साबित किया था। ऐसा भी कह सकते हैं कि यह फिल्म किसी सरकारी कागज की अहमियत बताने वाली सच्ची घटनाओं पर आधारित है।