केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के बैनर तले टीकरी बॉर्डर पर चल रहे धरने में 18 वर्षीय जश्नप्रीत सिंह की शनिवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई।
जश्नप्रीत बठिंडा (पंजाब) का रहने वाला था। बताया जा रहा है कि जश्नप्रीत टीकरी बॉर्डर पर चल रहे धरने में शामिल होने पहुंचे थे। शनिवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। इसके तुरंत बाद उन्हें रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया जहां शनिवार देर शाम इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के नेता जसवीर सिंह ने बताया कि जश्नप्रीत सिंह शनिवार सुबह टीकरी बॉर्डर पर धरना देने पहुंचा था। अचानक उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उसे पीजीआई रोहतक में दाखिल करवाया गया। वहां युवक ने इलाज के दौरान दम तोड दिया। जश्नप्रीत सिंह अपने मां-बाप का इकलौता था। उसके परिवार के पास तीन एकड़ जमीन है।
इससे पहले शुक्रवार को यहां एक ट्रॉली के अंदर एक 64 साल के किसान की मौत हो गई। किसान का नाम राजकुमार था, जो हरियाणा के भाना गांव का रहने वाला था। बहादुरगढ़ पुलिस ने बताया कि किसान अपनी ट्रॉली के अंदर बेहोशी की हालत में मिले, जिसके बाद उन्हें पास के जिला अस्पताल ले जाया गया। बाद में किसान को रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) में रेफर कर दिया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
टिकरी बॉर्डर पर जारी किसानों के धरने के बीच तीन बुजुर्ग किसान अपनी जान गवां चुके हैं। तीन किसान पंजाब के अलग अलग जिलों के रहने वाले हैं। मरने वाले तीनों किसानों की उम्र 60 साल से ज्यादा थी। ऐसे में अंदाजा लगा जा रहा है कि सर्द रात में खुले के सोने के चलते ठंड से इन किसानों की मौत हुई है।
फिलहाल दो आंदोलनकारी किसानों के शवों को पंजाब भेजा जा चुका है और एक रोहतक-दिल्ली रोड को नागरिक अस्पताल में रखा गया है। तीन किसानों की मौत के बाद वहां मौजूद उनके साथी किसानों का कहना है कि जब तक सरकार मांगे नहीं मानेगी, तब तक चाहे कई और जाने चली जाए, लेकिन धरना खत्म नहीं होगा।