नई दिल्ली। एक ऐसी खबर सामने आई है जो मॉनसून सत्र से पहले विपक्ष को बैकफुट में लाने के लिए काफी है। खबरों के मुताबिक यूपीए सरकार अपने अंतिम दिनों में RSS चीफ मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी। भागवत को ‘हिंदू आतंकवाद’ के जाल में फंसाने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के मंत्री कोशिश में जुटे थे।
अजमेर और मालेगांव ब्लास्ट के बाद यूपीए सरकार ने ‘हिंदू आतंकवाद’ थिअरी दी थी। इसी के तहत सरकार मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी और इसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के बड़े अधिकारियों पर दबाव डाला जा रहा था। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार जांच अधिकारी और कुछ वरिष्ठ अधिकारी अजमेर और दूसरे कुछ बम ब्लास्ट मामलों में तथाकथित भूमिका के लिए मोहन भागवत से पूछताछ करना चाहते थे।